पोर्नोग्राफी का जन्म |
पोर्नोग्राफी का जन्म कब और कैसे हुआ? ( पोर्न के बारे में विस्तार से जानें!)
आइये जानते हैं Pornography के बारे में। आज हम सभी यह जानते हैं कि इस दौर में छोटे से लेकर बड़े-बूढ़े तक सभी कामुकता और अश्लीलता में संलिप्त रहते हैं, चाहे वे पुरुष हों या स्त्री। सभी की कामेच्छा बहुत बढ़ी हुई है। जिसका नतीजा यह हुआ है कि हर देश में आये-दिन कहीं-न-कहीं बलात्कार और हत्यायें जैसी जघन्य अपराधिक दुर्घटनाएं घटित होती जाती हैं। यहां तक की लोग नजदीकी रिश्तों तक की परवाह किये बिना अपनी जिस्मानी भूख को पूरा करने की कोशिश करते हैं।
*जाने पोर्नोग्राफी का इतिहास !
ऐसा इससे पहले के किसी दौर में इतना अधिक नहीं हुआ था जितना कि आज हम आये दिन समाचारों में सुनते और अपने आस-पास देखते रहते हैं !
अब ऐसा क्या कारण है कि इस दौर में लोग इस कदर कामुकता और व्यभिचार से भर गये हैं ?
आज के संदर्भ में निश्चय ही हर कोई यह बता देगा कि इसका कारण Internate और मोबाइल फोन जैसे गजेट्स हैं, जिनसे लोग आसानी से वो सब देख लेते हैं जो उन्हें दिखाया जाता है।
आज के दौर में Pornography वह इन्डस्ट्री है जो अपने फायदे के लिये अपने दर्शकों की तादाद बढ़ाती है और इसके लिये वो हरसंभव अलग-अलग वेबसाइटों के द्वारा अपना प्रचार-प्रसार करती है।
पोर्नोग्राफी से हर देश की सरकारों को भी भरपूर फायेदा पहुंचता है तभी तो लगभग हर देश इस पर बहुत कम बेन लगाता है।
तो क्या पोर्नोग्राफि इसी दौर की देन है या फिर यह हजारों सालों पहले ही से इंसानियत में चलती आई है ?
पोर्नोग्राफी का जन्म |
*पोर्नोग्राफी का इतिहास एक अलग रूप में हजारों साल पुराना है!
जी हाँ, वास्तव में पोर्नोग्राफी की शुरुवात 18वीं सदी में नहीं बल्कि हजारों साल पहले ही से हो चुकी थी जो रुक-रुक कर अलग-अलग शक्लों और ढ़ंग से हमारी इंसानियत के समाज में फैलती चली गई।
इसका पहला और बड़ा प्रमाण हमें रोमी साम्राज्य के पोंपई नाम के शहर में मिलता है। जहाँ पर एक पूरी Porn-industry स्थापित थी। पोंपी शहर की इस Porn-industry से रोमि साम्राज्य को बहुत बड़ा मुनाफा हुआ करता था। इस इंडस्ट्री में छोटी-छोटी बच्चियों से लेकर बड़ी-बूढ़ी स्त्रियों तक का देह व्यापार हुआ करता था।
इस शहर में जिस्मानी मजे लेने के लिये राज्य के लगभग सभी शासकवर्ग, अधिकारीवर्ग व सैनिक तक जाया करते थे।
पोर्नोग्राफी का जन्म |
कामोद्यीपक चित्र इतिहास देखें !
पोम्पैई पोर्न-इंडस्ट्री का प्रचार करने के लिये अपने शहर के अलावा दूसरे शहरों और राज्यों (देशों) में भी पोर्न-चित्रों का प्रचार-प्रसार किया करती थी। ये पोर्न-चित्र पत्थर की मूर्तियों और हस्थचित्रों के रूप में भी हुआ करती थीं, और यह इंडस्ट्री पोर्न-चित्रों को बेच कर भी पैसे कमाती थी.
भारत की बात की जाये तो यहाँ किसी एक काल में कुछ ऐसी ही एक गतिविधि हुई थी परंतु उसका अधिक प्रचार-प्रसार न हो पाया था। जिसके शेष प्रमाण अजंता व ऐलोरा की गुफाएं हैं।
पर वास्तव में पोर्नोग्राफी की शुरुवात यूरोप में एक अभियान के रूप में 12वीं शताब्दी में हुई थी जब क्रूसेडों के युद्ध चले थे। ईसाइयों ने इस युद्ध में मुसलमानों से बहुत बार शिकस्त हान्सिल की। क्योंकि ईसाई लोग पहले ही से अपने भीतर की संस्कृतियों से, समाजों से और उनके वातावरण से दूषित थे। वे रोम में पोंपई की गंदगी से परिचित थे, और उसकी लत लगभग हर ईसाई नागरिक तथा सैनिकों में पड़ चुकी थी। इसलिये दिन में युद्ध करने के बाद रात में ये लोग शराब और शबाब में डूब जाया करते थे।
लेकिन इसके विपरीत मुसलमान लोग सांस्कृतिक और मजहबी तौर पर अपने ईमान के पक्के थे। कामुकता और व्यभिचार को तो वे लोग लगभग न के बराबर जानते थे। वे दिन के युद्ध के बाद रात को भी अपने खुदा के सजदे में रहा करते थे। इसीलिये मुसलमानों की शक्ति और जीत का प्रमुख कारण था उनकी अच्छी नियत और पाक-जिस्मानी-रूह !
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ईसाइयों के मुख्य नेता रोनाल्डो ने अपनी हार का चिंतन करने के लिये एक बैठक बुलाई। जिसमें उनके एक Expert बुद्धिमान शातिर नेता - *Pastor 'हरमन' ने मुस्लमानों को जिस्मानी और रूहानी तौर पर कमजोर करने के लिये एक बेशर्म-योजना बनाई। यह Pastor Harman वही व्यक्ति था जिसने पवित्र बाईबल के विपरीत जाकर एक *Devil Bible की रचना की थी !
हरमन जानता था कि मुसलमान ईमान के पक्के होते हैं। पर वह यह भी जानता था कि हैं तो वे भी इन्सान हीं। और जब तक इन्सान को किसी चीज से वंचित रखा जाये तो वह उसका अनुभव नहीं ले सकता है। इसलिये हरमन चाहता था कि मुसलमान सैनिकों को अति-जिस्मानी कामुकता का अनुभव करवाया जाये। जिससे वे जिस्मानी और रुहानी तौर पर कमजोर होकर अपने ईमान में पूरी तरह ढीले पड़ जायें।
इसके लिये उसने रोनाल्डो से कहा कि 'पहले ही से मुसलमानों के कुछ बड़े-बड़े अधिकारी और नेता हमारी सुन्दरियों की खूबसूरती और जिस्म के भूखे और प्यासे हैं, वे उन पर लट्टू हैं। इसलिये वे सब तो सलाउद्दीन से अंदर ही अंदर से नफरत करते हैं, तो क्यों न उनके सभी सैनिकों को भी अति-कामुक कर व्यभिचारी बनाया जाये!'
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उसने सुझाब दिया कि इसके लिये हमें बहुत से ऐसे नग्न-चित्र बनाने चाहियें जो कामुकता को बहुत बढ़ाते हों, और जिन्हें अगर कोई एक बार देख ले तो उस पर से वे नजर न हटा पाये और फिर बाद में भी लगातार वही चित्र-दृश्य उसके मनोमस्तिष्क में दिखती रहे। इस तरह हर मुसलमान सैनिक अपनी कामुकता को पूरी करने के लिये स्त्री-प्रसंग में लिप्त रहेगा। इस तरह वह जिस्मानी और रुहानी ताकत से कमजोर होकर युद्ध में हार जायेगा।
बहरहाल हरमन अपनी इस चाल और नीति में कामयाब हो गया। मुसलमानों ने शिकस्त पाई। सलाउद्दीन इन गंदे चित्रों के प्रचार-प्रसार से अपनी मृत्यु तक लड़ता रहा, परन्तु वह कामयाब न हुआ। इस तरह पोर्न किसी न किसी रूप में पूरे यूरोप में फैल चुका था।
पोर्नोग्राफी का जन्म |
पोर्नोग्राफी की तरक्की का दौर और Porn फिल्मों की शुरआत कैसे हुई/गंदी फिल्मों का इतिहास ?
17वीं से 18वीं सदी के बीच फ्राँस में बाकायदा इसकी एक इन्डस्ट्री भी स्थापित हुई थी। फ्रान्स के साथ-साथ जर्मन और लंदन में भी पोर्नोग्राफी का विकास हुआ। फ्रान्स और जर्मनी में पोर्नोग्राफी का विकास काष्ठ-कलाओं के रूप में हुआ।
लड़कियों और स्त्रीयों के रूपसौंदर्य को इस तरह लकड़ियों के चित्रों पर ऊकेरा जाता था जैसे मानो वे हूबहू इन्सान हों और वे इन्सान अलग-अलग संभोग मुद्राओं में संलिप्त हों। जिसे देख कर लोगों में कामुकता अपने चरम पर चढ़ आती थी।
18वीं शताब्दी के दौर में फ्राँस, जर्मन और इंग्लेंड में लगभग हर इन्सान कामुकता के वश में था। फिर धीरे-धीरे इसका प्रचार व प्रसार केमरे के आने से पूरे यूरोप भर में हो गया। केमरे के द्वारा बहुत अधिक Hot-photoshoot और Porn-photoshoot किये गये।
फिर Videography का दौर आया। जिसने गंदी फिल्में और अलग-अलग तरह से Hot-videoshoot करके लोगों के जहन को नापाक कर दिया था।
पोर्नोग्राफी के उद्योगपतियों ने अपने-अपने फायदे के लिये यूरोप से बाहर निकल कर इसका प्रचार-प्रसार करना चाहा। उन्हें एशिया और भारत बहुत बड़ी मण्डी के रूप में दिखे। जिसके लिये उन्होने यहाँ की सरकारों और शासकों से परमिशन लेना चाहा, लेकिन कामयाब न हुये।
एशिया और भारत-पाकिस्तान जैसे देश तो पोर्न जैसी चीज को जानते तक न थे। यहाँ के लोग उस दौर में अपने चरित्र में अति-कामुक और व्यभिचारी न थे। इसीलिए यूरोप की पोर्न-इन्डस्ट्री को एशिया और भारत में अपनी मण्डी लगाने का परमिशन न मिला।
फिर 1990-91 ईसवी में VCR का जमाना आया। VCR लगभग हर देशों और एशिया तथा भारत-पाकिस्तान में भी उपलब्ध हुआ। एशिया और भारत-पाकिस्तान में लोग VCR देखना पस्ंद करते थे। इसलिये यूरोप की पोर्न-इंडस्ट्री के उद्योगपतियों ने विचौलियों के द्वारा VCR के Porn-cassettes यहाँ चोरी-छिपे भिजवाये। जिससे धीरे-धीरे यहाँ के लोगों में भी पोर्न देखने की लत लग गई।
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पोर्नोग्राफी का विकसित दौर ! Pornogrphy in hindi
आज इन्टरनेट और अलग-अलग गजेट्स का जमाना है। जिसके चलते अब अश्लीलता और पोर्न का प्रचार-प्रसार बहुत आसान हो गया है। आज लोग पोर्न तस्वीरें और विडियोज को अपने जेब और हाथों में मोबाइल जैसे गजेट्स में लिये फिरते हैं।
आज पोर्न-इंडस्ट्री का प्रचार दुनियाँ की सभी इन्डस्ट्रीज के मुकाबले में सबसे अधिक है। या यूँ कहें टॉप पर है। इसका व्यापार टॉप पर होने के कारण दुनियाँ की लगभग सभी सरकारें इसे अपने-अपने देशों में पूरी तरह बंद नहीं कर पा रही हैं। क्योंकि उन्हें इससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में बहुत अधिक राजस्व जो मिलता है।
कुछ भी हो, पोर्न जैसी इन्डस्ट्री के दुनियाँ में होने की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि इससे इन्सानों की तस्करी को बढ़ावा मिलता है। हर दिन न जाने कितने बच्चे-बच्चियां और स्त्रियाँ किडनेप की जाती हैं सिर्फ इन्सानी नग्न-जिस्म की नुमाईश और देखने व भोगने के लिये।
बेशक आज दुनियाँ बहुत अधिक तरक्की कर रही है लेकिन फिर भी इन्सानियत के लिहाज से हम दुनियाँ वाले दिन-प्रति-दिन पिछड़ते आये हैं। आज भी इन्सानी-जान और इंसानी-जिँदगी की आजादी की कोई कीमत नहीं है। हम अपने स्वार्थ और फायदे के लिये एक दूसरे को बस यूज करते हैं। और न जाने कब हम एक मुक्कमिल इन्सान बन पायेंगे, जिसकी चाह हमें इन्सानी सभ्यता बनाने से पहले थी जो अब नहीं है ?
Read more........*मनोरंजन उद्योग की अश्लीलता, आखिर मनोरंजन भी एक साहित्य है !
More knowledgeable artical !
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