*सृष्टि रचना, जीवन इच्छा और जीवन दुख से संबंधित कवितायें !* *Hindi poems*

मनमोहक कविताएँ !
सृष्टि रचना, जीवन इच्छा और जीवन दुःख से संबंधित कवितायेँ! Hindi poems

ऐसा सुख चाहता हूँ जो रहे अमिट!

  ऐसा सुख चाहता हूँ जो रहे अमिट 
  लालसा है जिस पर मेरी वही रहे अभीष्ट,
   सुख पाऊं ऐसा उससे जो रजव व सत्व हो
    तामस बने प्रभात न हो ऐसी श्र्र्न्खला न मिटे,
 तम-रत्निक वाटिका में उससे यूं ही क्रीड़ा करुँ
  देह-आत्म सुख रस की प्याली उसे पिलाऊं खुद पियूं,
   प्रभाकर न उतरे रत्निक वाटिका में मेरे
 नाहि तो रत्न-चमन मिट जायेगा बन पड़े तामस में  
उभर पड़ेंगे वे चेहरे जिन्हें देखना अब दुष्भर मुझे,
इतना भी बेहतर होता बिन रत्न वाटिका में तामस बन पड़े.........
  जो गैर समरूप हैं वे धून्दले ही दिखें...........!!! 
मनमोहक कविताएँ !

  अखण्ड मण्डलाकार में तू जन्मा!

 अखण्ड मण्डलाकार में तू जन्मा
  अग्नि के एक खण्ड आकार से,
   पूर्ण-अपूर्ण तेरे रूप बने
    पृथ्वी में ही तेरे स्वरूप बने,
  है परिपूर्ण मादा और नर तत्व से 
   तो ही तो प्रकृती कामरूप बने,
     जन्में इसमें संख्य ऋतु 
      कहलाए इसके किशोर पितु (संतानें),
  यही हैं डांटते वर्षण के रूप में
  क्रोध करते बादल के रूप में,
  मत कर सहन विकृत कर्म को तू इस ग्रह में
  तुझे पावन करेंगे हम इस वर्षण रूप में,
   तेरे कण-कण को छुयें सब में उर्जा है
   शक्ती का तू प्रतीक और कोई ग्रह न दूजा है,
     तेरे दो नयन हैं सुर्य-चंद्र
      तेरे दो हाथ हैं समय सारणी
       तेरी शिखाओं में शोभा ये तारे हैं,
तेरी आंचल में विचरण करने वाले हम तेरी उर्जा के अंश हैं,
 तू चाहे तो हाथों से हमें अपना रूप दे दे
  हमें अंश से महायंश (पूर्ण) बना दे,
   वस्तुतः तुम्हीं तो हो जिसे हर धर्म ढूँढे........!!!
मनमोहक कविताएँ !

      जीवन का प्यास!

 खुश रहना अमीरों की किस्मत है
  रोना गरीबों की मजबूरी, 
    खुशी निकलती है किस्मत के सागर से
     गरीबी निकले मजबूरी के कुयें से,
  किस्मत बनती है उल्टे-सीधे सागर से
   मजबूरी बने केवल सीधे और गहरे कुयें से,
    सागर में तैरने वाले बच जाया करते हैं
     कुयें में डूबने वाले मर जाया करते हैं,
      अब कहो, सागर में तैरना भाता है तुम्हें
        या भाता है कुयें में डूबना, 
   ये बचना ये मरना सागर और कुयें का खेल है,
    सागर कहे कुयें से - अरे, मैं जीवन का अस्तित्व हूँ,
    तो कुआं कहे सागर से - अगर हो तुम अस्तित्व
      जीवन के, तो मैं जीवन का प्यास हूँ..............!!!!

1 टिप्पणियाँ

  1. वाह ! कितनी प्यारी कविताएं हैं, दिल को छू लेने वाली !!

    जवाब देंहटाएं
और नया पुराने