*हिन्दू समाज और जनजाति समाज में अन्तर! (कृपया गौर से पढ़ें !)*

 

हिन्दू समाज और जनजाति समाज में अंतर !

 हिन्दू समाज और जनजाति समाज में अंतर! (कृपया गौर से पढ़ें!) 

 पिछ्ले 15000 वर्षों से भारतीय समाज नाना-प्रकार की जातियों और समुदायों से घिरा हुआ समाज है, और यहाँ सभी मनुष्यजातियों ने मिलकरके भारतीय समाज की सांस्कृतिक गरिमा को बढ़ाने में अपनी-अपनी भूमिका निभाई है। जनजाति का अर्थ,परिभाषा और विशेषतायें क्या होती हैं?  भारत में मुख्यरूप से दो जातिसमुदाय प्रमुख हैं :- 

 1. मनुवादी-जातिसमुदाय (हिन्दू)।

 2. जनजाति समुदाय।

    मनुवादी-जातिसमुदाय (हिन्दू) !   

 मनुवादी-जातिसमुदाय वे हैं जो प्रचलित हिंदूधर्म की जातियाँ हैं। जिनमें मनुस्मृति की व्यवस्था पर आधारित जातिव्यवस्था प्रचलित है और जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से परस्पर जातिगत भेदभाव तथा छूआछूत किया करते हैं।

 

जनजातिय समुदाय !

 जनजाति का अर्थ :- जनजाति समुदाय वे हैं जिनका प्रचलित हिन्दुधर्म से कोई लेना-देना नहीं होता। उनमें मनुस्मृति के प्रति कोई श्रद्धा नहीं होती, और न ही उनमें किसी तरह का कोई जातिगत भेदभाव या छूआछूत जैसी अमानवीय कुप्रथा ही प्रचलित होती है। ये जातियाँ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पूर्णतः प्रकृति पर आधारित आस्था पर केंद्रित होती हैं। 

 जनजाति की विशेषताएं :- इनकी अपनी एक अलग ही संस्कृति होती है जो इन्हें अन्य समाजों से पूर्णतः पृथक (अलग) प्रदर्शित करती हैं।

 ये सुदूर व दुर्गम क्षेत्र में वास करते हैं। इनकी अपनी अलग भाषा व अलग बोली होती है। इनकी अपनी अलग सँस्कृति और अलग आस्था (धर्म) होती है। 

 यहां तक कि आजतक कहीं-कहीं इनकी आर्थिक गतिविधि भी अन्य समाजों से पृथक (अलग) ही होती है।

भारत की आजादी से पूर्व जनजाति समाज की दशा !

 अंग्रेजों ने भारत पर अपनी सत्ता कायम रखने के लिये फूट डालो और शासन करो की नीति का व्यवहार किया। उन्होने भारतीय समाज को आन्तरिक रूप से खंडित करने के लिये उन्हीं के मनुवादी-धर्म (हिन्दुधर्म) की आड़ में सबसे उच्चजाति को अन्य निम्नजातियों के प्रति और अधिक अहिंष्णु बना दिया। इतना ही नहीं इस जातिव्यवस्था में हर जाति को अपने से छोटी जाति के प्रति कठोर बना दिया। 

 यहाँ तक कि गैर-मनुवादी धर्म के समाज (जनजातियों को) को भी उनकी कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुये उन्हें मनुवादी समाज (हिन्दू समाज) में एक शूद्र व अछूत का दर्जा दे दिया गया।

 आजादी के बाद जनजातियों की दशा !

आजादी के बाद भी यही स्थिति ज्यूँ की त्यूँ ही है। भले ही संविधान निर्माताओं ने संविधान की मौलिक अधिकार की धारा 14-18 की व्यवस्था की है किन्तु जनजातियों को मनुवादी धर्म (हिन्दू धर्म) की ओर से कोई शूद्र होने का दर्जा तो नहीं दिया गया है परंतु जनजातियों के अन्तर्गत हाथों से काम-काज करने वालों को मनवादियों (हिन्दुओं) की ओर से शूद्र और अछूत होने का दर्जा दिया गया है।

 मनुवादियों की यह यह नीति आजादी से पहले ही से रही है और इसमें कोई शक नहीं कि यही नीति अंग्रेजों की भी रही थी।

हिन्दू समाज और जनजाति समाज में अंतर !


*जनजाति हिन्दुसमाज (मनुवादी-समाज) से अलग सांस्कृतिक समाज है!

 भारत ही नहीं जनजाति समाज पूरे विश्व भर में हिन्दु समाज से अलग सांस्कृतिक समाज है। इस समाज में जातिव्यवस्था नहीं होती।  परन्तु भारत में स्थिति इससे बहुत अलग है। यहाँ बहुत-से जनजाति समाजों में हिन्दुधर्म की जातिव्यवस्था निहित है। वे केवल कहने को जनजाति समाज होते हैं। उनके जनजाति समाज होने का मापन केवल सुदूर-दुर्गम क्षेत्र में वास करने भर से ही होता है, जो कि न्यायोचित नहीं।

 कुछ जनजाति समाज तो ऐसे होते हैं जो आरंभ ही से हिन्दु (मनुवादी समाज के) समाज के होते हैं; या फिर उनके धर्म भी वही होते हैं जो दुनियां के प्रगतिशील समाज के धर्म होते हैं जैसे, हिन्दु, मुस्लिम, ईसाई इत्यादि।

 जबकि जनजाति समाज के धर्म सर्वदा भिन्न होते हैं जो कि नैसर्गिक (प्रकृति पर) आस्था (धर्म) पर आधारित होते हैं।

इतना कुछ होने पर भी भारतीय सरकारों और संविधान निर्माताओं ने इस ओर गौर क्यों नहीं किया, यह बात समझ से बाहर की है ?

अत: सरकारों को इस संदर्भ में ध्यान देने की जरुरत है। वर्तमान सरकार को चाहिये कि जनजाति का अर्थ, परिभाषा और विशेषतायें  देखते हुए जल्द से जल्द ऐसे हर अनुसूचित जनजाति समाज को जनजाति समाज की सूची में से बाहर निकाल दिया जाये जो आरंभ ही से हिन्दु समाज (मनुवादी समाज) के रूप में थीं और जो अब हिन्दुधर्म समाज का व्यवहार अपने समाज के भीतर करते हैं।  जिनकी आस्थाएँ (धर्म) तथाकथित दुनियाँ के धर्मों पर आधारित हैं उन्हें भी इस सूची में से बाहर निकाला जाये। 

 निसन्देह ! अनुसूचित जनजाति एक दलित समाज है परन्तु वह हिन्दुधर्म व जातिव्यवस्था (मनुस्मृति) के अंतर्गत नहीं आती हैं और न ही प्रगतिशील समाज के धर्मों के अंतर्गत ही !

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