*एलियंस के होने का एकमात्र प्रमाण वेदों में मिलता है! Do Aliens exist in hindi*

क्या एलियंस होते हैं ?


एलियंस के होने का एकमात्र प्रमाण वेदों में मिलता है! Do Aliens exist in hindi


  अब तक के अनुसंधान में दुनियां की प्राचीनतम पुस्तकें केवल वेद ही माने गये हैं। भारतीय सँस्कृति की देन ये वेद लगभग 5000 वर्ष पुराने हैं। इनमें एलियन्स का लगभग 95% बार जिक्र किया गया है।

    क्या एलियन सच में हैं ?

वेदों की ऐतिहासिक विशेषता:-  इस संदर्भ में *वेदों की सबसे बड़ी ऐतिहासिक विशेषता यह है कि जब दुनियां की कोई भी पुस्तक लिखी नहीं गई थी तब उस काल में वेदों की रचना हुई थी।

 
*जब बाईबल और कुरान रचे नहीं गये थे, उस काल में वेद रचे गये थे।
 *जब दुनियां के किसी भी धर्म की पुस्तकें रची नहीं गईं थीं, उस काल में वेदों की रचना की गई थीं।

 * जब विज्ञान के किसी भी संभाग की पुस्तकें रची नहीं गईं थीं, तब उस काल में वेद रचे गये थे।

 *वेदों की रचना हुये 5000 वर्ष हो चुके हैं, परन्तु इनमें दी गई जानकारी व ज्ञान करोड़ों, अरबों-खरबों वर्ष पुराना है।

 *बाईबल की रचना हुये 3500 वर्ष ही हुये हैं।
 *कुरान की रचना हुये 1600 से 1700 वर्ष ही हुये हैं। 
 जबकि इनमें दी गई जानकारी अरबों-खरबों वर्ष पुरानी नहीं और न ही समस्त ब्रह्मांडों का ज्ञान ही इनमें है। इनमें तो मात्र उक्तकाल की घटनाओं का ही व्यौरा है, जिनमें कुछ करके भविष्य की घटनाओं का लेख।


     प्राचीन विज्ञान (एलियंस )

* विज्ञान को उत्त्पन्न हुये मात्र 500 से 600 वर्ष ही हुये हैं, और इनमें दी जाने वाली जानकारी व ज्ञान सत्यपरक हैं, परन्तु वर्तमान विज्ञान की प्रगति अब तक उस स्तर तक नहीं हुई है जिस स्तर का ज्ञान प्राचीन वेदों में दिया गया है।

  विज्ञान ने विमान की खोज संभवत: 200 से 300 वर्ष पहले ही की, जबकि वेदों में इसका जिक्र 5000 वर्ष पहले ही है। 

  बारूद, अग्नि-मिसाइल, अणु-परमाणु, टेलीविजन, टेलिफोन, मोबाइल, इन्टरनेट, कारखाने, इन्जनियरिंग, आर्किटेक्चरिंग, रसाइयन, जैव-विज्ञान इत्यादि-इत्यादि, निसन्देह, ये सब विज्ञान की सैद्धांतिक व व्यावहारिक खोजें हैं, परन्तु वेदों में इनका ज्ञान यंत्र व रसायन पर आधारित ना होकर मंत्र-तंत्र व रसायन पर आधारित है।

  वास्तव में 5000 वर्ष पहले का प्राचीन विज्ञान "मंत्र-तंत्र व रसायन" पर आधारित था। जबकि आधुनिक विज्ञान पूर्णतः "यंत्र व रसायन" पर आधारित है।

 एलियन्स का रहस्य!

 संसार के तथाकथित वैज्ञानिक जहाँ आज एलियन्स के होने का दावा कर रहे हैं, तो उनका यह दावा बिल्कुल भी गलत नहीं है; क्योंकि वेदों व पुराणों में इन एलियन्स का जिक्र लगभग 95% बार किया जा चुका है। जैसे, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, इन्द्र और अन्य देवताओं का जिक्र, अर्थात देव, दानव, यक्ष, किन्नर, गन्धर्व, नाग और भी प्रकार के Non-earthly creatures. 
  इन सभी का वास्तविक ठिकाना पृथ्वी न होकर पृथ्वी से बाहर के अन्य लोक हैं।
 इन्होने अतिप्राचीनकाल में पृथ्वी के विभिन्न भागों में अपनी अस्थाई कोलोनियां बनाईं थीँ, और पृथ्वी छोडने से पहले इन्होने उन स्थानों पर अपनी कुछ-कुछ निशनियां भी छोड़ी हैं।

 इन लोगों का पृथ्वी पर आना-जाना या तो इनके विमानों द्वारा होता था या फिर ये स्वयं "प्रकाश की गति" से यात्रा करते थे।

 इन्द्र की *अल्कापुरी (स्वर्ग) से ऊपर के लोक के प्राणी पृथ्वी पर की यात्रा ज्यादातर स्वयं "प्रकाश की गति"अथवा "मन की गति" अर्थात "मंत्र के" द्वारा करते थेे।
  जबकि *भवंरलोक के प्राणी पृथ्वी की यात्रा पूर्णतः अपने विमानों के द्वारा ही किया करते थे और संभवत: अब भी करते हैं। *इस संदर्भ में बाईबल में - हनोक और एलियाह का जिक्र*

  जलप्रलय से पूर्व अधोलोक के प्राणी- दानव, राक्षस, नाग आदि भी पृथ्वी पर रहते थे, आया जाया करते थे। परन्तु अब इनका आवागमन होता है या नहीं, यह विषय विचारणीय है।

  यदि जब कभी भी हम यह सुनें कि पृथ्वी पर एलियन्स का हमला हुआ है या एलियन्स हमें दुख दे रहे हैं, हम पर अलग-अलग तरह का प्रयोग कर रहे हैं तो या समझ लेना की ये *अधोलोक की दुनियां के प्राणी हैं।

  प्राप्त वेदों व पुराणों की जानकारी के आधार पर हम यह जानते हैं कि देवता और दानव एक दूसरे के कट्टर शत्रु हैं।
  मतलब दो दुनियायें हैं, जो एक दूसरे के खिलाफ हैं, और मानव इन दो दुनियायों के बीच के ग्रह का वासी है।

  मनुष्य देवताओं की आराधना करते हैं, पर दानवों की नहीं। 
  मनुष्य अपने से ऊपर की शक्तियों (प्राणियों की) की उपासना करते हैं (स्वाभाविक गुणों के आधार पर), और दानव (असुर) मनुष्य की तुलना में (स्वाभाविक गुणों के आधार पर) निकृष्ट हैं, इसीलिये वे उनकी उपासना नहीं करते। यही प्रमुख कारण रहेगा कि मनुष्यों पर प्राचीनकाल की तरह पुन: हमला हो !

 वैसे दानव (असुर) और राक्षसी शक्तियां प्राचीनकाल से अब तक मनुष्यों को पृथ्वी की ग्रेवीटेशनल शक्ति के द्वारा प्रभावित करते रहे हैं, क्योंकि उनका लोक पृथ्वी की ग्रेवीटेशन के नीचे है।
 इस ग्रेवीटेशनल फोर्स का ज्वलन्त उदाहरण है- बलात्कार, चोरी, हिंसा आदि। आतंकवाद इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है।

 अत: एलियन्स का नाम आते ही आज हमारे जहन में जिस तरह की कल्पना या चित्र सामने आते हैं एलियनस वास्तव में उनसे भिन्न ठीक वैसे ही हैं जैसा की वेदों में जिक्र है।

 इसलिये यदि मनुष्य (वैज्ञानिक) को एलियन्स का रहस्य जानना है तो उन्हें सर्वप्रथम हमारे वेदों और पुराणों की पुस्तकों पर अनुसंधान करना होगा, और फिर उसके आधार पर अपना व्यवहारिक मिशन तय करना होगा।

इस संदर्भ में संभवत: विज्ञान यंत्रों के आधार पर इन दुनियायों की खोज न कर पाये, पर इस हेतु विज्ञान को "मंत्रों और तंत्रों तथा रसायन विज्ञान पर भी अनुसंधान करना ही होगा, अन्यथा वे कुछ भी न जान पायेंगे !


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