*Aliens रहस्य ! (एलियंस और परलोक)*

 

Aliens रहस्य ! (एलियंस और परलोक) 

  हमारी इस पृथ्वी पर अलग-अलग देशों के कई अलग-अलग लोगों ने UFOs को देखे जाने का दावा किया है। इन दावों में से कई दावे ऐसे हैं  Aliens rahasya जो बिल्कुल सत्य प्रतीत होते हैं, और लोगों का मानना है कि ये UFOs किन्हीं परग्रहों से आते हैं।

  तो क्या वाकेई ये UFOs परग्रहों ही से आते हैं या फिर कहीं ओर से ?
 इससे पहले की हम परग्रहीयों के बारे में जाने, आइये चलिये जरा UFOs का मतलब समझते हैं :-


  UFOs

  वैसे हममे से लगभग सभी लोग UFOs का मतलब समझते हैं। UFOs मतलब होता है - Unidentified flying objects. अर्थात अंजान उड़न तश्तरियां। एक ऐसी चीज जो पृथ्वी के बाहर से पृथ्वी पर आती हुई दिखती है उसे ही UFOs कहते हैं। 



हम पृथ्वी के लोग पृथ्वी नामक ग्रह पर वास करते हैं, इसीलिये हमें बाहर से आने वाली हर वस्तु किसी न किसी दूसरे ग्रह से आई हुई प्रतीत होती है, क्योंकि हमें केवल यही कल्पना करने में सहजता होती है। तो यह जरुरी नहीं कि पृथ्वी के बाहर से पृथ्वी पर आने वाली चीज किसी ग्रह की ही चीज हो। हो सकता है कि वे चीज या वस्तु किसी ग्रह की न होकर के किसी भिन्न आयाम या किसी भिन्न अज्ञात भूमी की हो, जिसकी संरचना किसी ग्रह के रूप में न होकर मात्र उर्जात्मक रूप (प्रकाश रूप) में हो या फिर किसी और रूप में जिसकी हम कल्पना तक नहीं कर पाये हों! 

  इसका एक उदाहरण दिया जा सकता है, जैसे, प्राचीन धर्मग्रंथों में अनेकों बार देवताओं का जिक्र किया गया है और यह साफ-साफ बताया गया है कि ये देवतागण पृथ्वी से बाहर के किसी लोक से आये हैं, जैसे स्वर्गलोक इत्यादि।


  इन देवताओं की खास बात यह होती है कि ये बहुत फास्ट होते हैं। पल भर में प्रकट होते हैं और पल भर में अप्रकट। ये अपने विमान में भी आते हैं और फिर गायब भी हो जाते हैं। लगभग हर धर्म की धर्म पुस्तकों में इस तरह का जिक्र किया गया है। इसीलिए इसी आधार पर वैज्ञानिकों ने स्वर्गों की खोज करनी शुरु की। परन्तु उन्हें स्वर्ग जैसी कोई दुनियां नहीं मिली।

  तो क्या इसका मतलब यह हुआ कि स्वर्ग जैसी कोई दुनियां (लोक) होती नहीं है ?
 तो क्या हर धर्म झूठा है ? 
 तो क्या हर धर्मों के देवी-देवता कल्पना मात्र हैं ?

  अगर ऐसा ही है तो अब तक की संपूर्ण मानवता हजारों लाखों वर्षों से एक छलावे में ही जी रही थी। एक काल्पनिक श्रद्धा में ही जी रही थी। विज्ञान धर्म को और उसकी प्रत्येक बातों को एक कल्पना तथा एक अन्धविश्वास ही मानता है।

  तो यह कैसे हो सकता है कि इस तरह की कल्पना और अन्धविश्वास का विस्तार लगभग पूरी मानवता में एक साथ हो ?
 कुछ तो हुआ होगा !
 कुछ तो बात होगी जो घटी होगी। जिनका की प्राचीन काल के लोगों ने सामना किया हो, जिनके साथ वे रूबरू हुये हों!
 उन्होनें उन्हें (परलोक वासियों को) आते-जाते देखा हो, बातें कीं हों, और यहाँ तक की साथ रहे हों एक समाज के हिस्से बन कर।

  क्योंकि जब तक ऐसा न हो तब तक कोई भी किसी भी तरह की कल्पना और बातों पर विश्वास नहीं कर सकता, चाहे वे लिखी बातें (धर्मपुस्तकें) ही क्यों न हों। मनुष्य जो देखता है और जिसे वे अनुभव करता है उसे ही वे मान्यता देता है। धर्मों के संदर्भ में भी ऐसा ही है। प्राचीन मनुष्यों ने देखा और अनुभव किया, फिर उसे किताबों में लिखा है, न कि कल्पना करके पहले लिखा और फिर अन्धे होकर के विश्वास किया।

 

परग्रही नहीं परलोकी कहो !



  जब कभी भी UFOs की बात हो तो आज के आधुनिक मानव को चाहिए कि वे UFOs में सवार जीवों को मात्र परग्रही न कहें, क्योंकि हो सकता है कि वे परग्रही न हो परलोकी हों, मतलब की वे किसी ग्रह के वासी न हो कर किसी लोक के वासी हों, और वह लोक स्थूल न हो वरन प्रकाशलोक (उर्जात्मक लोक) हो अथवा सूक्ष्मलोक हो या अधिक कहें दिव्यलोक से हों।  इसलिये हमें एक संभावना को साथ लेकर के सोचना चाहिये।  क्योंकि इस विराट ब्रह्मांड में कुछ भी संभव है। यहाँ बहुत सी बातें ऐसी हैं जो घटित हो जाती हैं जिन पर हमारा वश नहीं चलता। यहाँ बहुत सी ऐसी बातें है जिनके बारे में हम कल्पना तक नहीं कर सकते।

  निसन्देह, विज्ञान अपने स्तर से सतत् रूप से रहस्यों को खोजने का प्रयत्न कर रहा है परन्तु विज्ञान को भी यह चाहिए कि वह धार्मिक बातों को भी एक संभावना के रूप में लेकर के आगे बढ़े।

  अगर विज्ञान धार्मिक बातों को मात्र कोरी कल्पना या बकवास मानकर छोड़ देगा तो विज्ञान कभी भी उन रहस्यों को उजागर नहीं कर पायेगा जिन्हें वह खोजना चाहता है।  जैसे, टाईम-ट्रेवल, अदृश्य होना, अमृत और एक लोक से दूसरे लोक की यात्रा आदि आदि। क्योंकि विज्ञान को यह समझना चाहिये कि वह जिन विषयों को खोजना चाहता है उन विषयों का जिक्र मानवजाति में आज से हजारों लाखों वर्ष पूर्व हो चुका है, जबकि उक्त काल में विज्ञान का नामोंनिशां तक नहीं था।

  अत: UFOs और Aliens (परग्रहीयों) के संदर्भ में आज के मनुष्यों और विज्ञान को जरा हट के सोचना चाहिये :-
 
  पहली बात, यह जरुरी नहीं कि हर UFOs परग्रह से हों।
 दूसरी बात, यह जरुरी नहीं कि हर UFOs में सवार जीव परग्रही ही हो।
 तीसरी बात, धार्मिक आस्थाओं के आधार पर हमें इस संभावना को साथ लेकर सोचना चाहिये कि हो सकता है की वे किसी परलोक का विमान हो और वे परलोक वासी हों। 
 चौथी बात, वे किसी स्थूल ग्रह के न हो कर के सूक्ष्म ग्रह (लोक), प्रकाश लोक अथवा दिव्यलोक के वासी हों।

  क्योंकि इस दुनियाँ में कुछ भी संभव है। यहाँ ब्रह्मांडीय नियम जहाँ एक से प्रतीत होते हैं वहीं वे नियम अचानक बदल भी जाया करते हैं। इसलिये संभावनाओं को साथ लेकर के हमें अपनी खोज यात्रा आगे बढ़ानी चाहिये, और इस कार्य की इति सिर्फ विज्ञान ही कर सकती है।

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