देश में बेरोजगारी दूर करने के बेहतर तरीके !
बेरोजगारी होने के मात्र ये दो कारण ही नहीं होते वरन और भी अन्य कारण होते हैं। फिर भी हमें बेरोजगारी के अनगिनत कारणों की ओर न देखते हुये केवल इसकी जड़ों में झांकनें की कोशिशें करनी चाहियें ताकि हम इसका समाधान कर सकें।
जब भी बेरोजगारी की बात होती है तो हमारा ध्यान केवल सरकारी क्षेत्र की बेरोजगारी की ही ओर जाता है। जबकि बेरोजगारी का क्षेत्र व्यापक होता है। मुख्यतः बेरोजगारी दो क्षेत्रों में होती है - सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में।
तो आइये सर्वप्रथम सरकारी क्षेत्र की बेरोजगारी के बारे में जानते हैं :-
सरकारी क्षेत्र की बेरोजगारी
हमारे देश भारत में सरकारी क्षेत्र में आज की तारीक में विभिन्न सरकारी विभागों में जो कि राज्य विभागों से लेकर के केंद्रीय विभागों तक हैं में पदों की कुल संख्या है -
*1 करोड़ 60 लाख पद हैं।
जिनमें - *1 करोड़ 52 लाख पद भरे हुये हैं।
अब बचे हुये - *8 लाख पद वर्तमान सरकार को भरने हैंं।
सरकार ने इन बचे हुये 8 लाख पदों को जो की केंद्रीय व राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों से संबद्ध हैं को भरने की घोषणा तो कर दी है, परन्तु अब सवाल यह है कि यदि सरकार वास्तव में ही इन 8 लाख पदों को भर लेती है तो क्या वाकई में भारत से बेरोजगारी खत्म हो जायेगी ?
आपको क्या लगता है कि इन 8 लाख पदों को भर देने से हमारे देश की बेरोजगारी खत्म हो जायेगी?
यदि आपको लगता है कि हाँ, बेरोजगारी खत्म हो जायेगी, तो जरा इस आँकड़े की ओर भी ध्यान दें:-
इस समय भारत में टोटल पढ़े-लिखे बेरोजगार लोगों की संख्या है - 40 करोड़, जो कि सरकारी क्षेत्र में सृजित विभिन्न विभागों की संख्या से 98% ज्यादा है।
यदि ये 40 करोड़ बेरोजगार रोजगार पाने के लिये आवाज उठा रहे हैं और सरकार इन्हें रोजगार प्रदान कर भी देती है तो भी इन 40 करोड़ बेरोजगारों में प्रति 100 बेरोजगार में से केवल 2 बेरोजगार को ही नौकरी मिल पायेगी, बाकि के 98 बेरोजगार असफल घोषित कर दिये जायेंगे; बदले में सरकार की उन 98 बेरोजगारों से बखूबी कमाई होगी, क्योंकि उन्होनें रोजगार पाने के लिये Application fees जो दी होगी।
तो इसका क्या अर्थ हुआ - बेरोजगारी के लिये आवाज उठाया 100 लोगों ने, जबकि नौकरी में लगेंगे 2 ही लोग, बाकि के 98 लोगों को मायूसी का ही सामना करना पडेगा और सरकार के साथ निरंतर संघर्ष करना पडेगा, जबकि ऐसा करना बेरोजगगारों की बेवकूफी ही होगी !
इस संदर्भ में सरकार कुछ नहीं कर सकती। क्योंकि वास्तव में ही सरकार के सरकारी विभागों में 40 करोड़ बरोजगारों के लिये रोजगार तो है ही नहीं। सरकारी रोजगार हेतु सरकारी विभागों में कुल रिक्त पद तो केवल 8 लाख ही हैं और रोजगार पाने योग्य कुल विभागों में पद हैं 1 करोड़ 60 लाख ही।
अब ऐसी स्थिति में पढ़े-लिखे बेरोजगगारों का सरकार से निरंतर संघर्ष करना तो बेवकूफी ही होगी। पर जो ये 2% बेरोजगार होंगे जो नौकरी में लगेंगे ये वे लोग होंगे जिनकी तुलना किसी मेमोरी कार्ड से की जा सकती है। बाकि के लोग जिनके दिमाग मेमोरी कार्ड की तरह नहीं वे मैदान में नहीं टिक पायेंगे।
गैर-सरकारी क्षेत्र की बेरोजगारी
यदि पढ़े-लिखे बरोजगारों की बेरोजगारी के संदर्भ में सरकार से संघर्ष करना ही है तो गैर-सरकारी क्षेत्र की बेरोजगारी के मामले में ही संघर्ष करना चाहिये।
बेरोजगगारों को चाहिये कि वे विभिन्न प्राइवेट सेक्टर में रोजगार की अनउपलब्धता के बारे में निरंतर आवाज उठायें। न केवल प्राइवेट संस्थाओं में रोजगार हेतु वरन किसी व्यवसाय या व्यापार या किसी काम-धन्धे की अनउपलब्धता के विषय में भी। इस क्षेत्र में आने वाली हरेक परेशानियों के बारे में बेरोजगगारों को चाहिये कि वे निरंतर सरकारों से संघर्ष करें।
सरकारी क्षेत्र की भर्ती प्रणाली में सुधार की आवश्यकता
निसन्देह, वर्तमान स्थिति में हम चाह कर भी सरकारी क्षेत्र में रोजगार के और अधिक पदों को सृजित नहीं कर सकते, परन्तु हम रोजगार के लिये दावा करने वालों की संख्या को कम तो अवश्य ही कर सकते हैं !
तो हमें किस तरह के बरोजगारों की Category को कम करना चाहिए ?
तो आइये समझते हैं :-
हमारे देश में बेरोजगारी का मूल कारण पदों की कमी का होना ही नहीं बल्कि अनावश्यक लोगों का रोजगार के लिये अप्लाई करना ही बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण है।
तो ये अनावश्यक लोग कौन हैं ?
ये वे लोग हैं जिनके पास पर्याप्त संपत्ति, पर्याप्त व्यवसाय, पर्याप्त व्यापार और पर्याप्त रोजगार होने के बाद भी सरकार से सरकारी क्षेत्र में रोजगार पाने के लिये अप्लाई करते हैं।
सरकार को चाहिये कि इस तरह की Category के लोगों को सरकारी क्षेत्र में कोई रोजगार प्रदान न किया जाये।
*जैसे - यदि किसी के पास 20 बीघा जमीन है जो की उपजाऊ है और उस घर में दो लडके हों, तो उन दोनों लड़कों में से केवल एक ही को सरकारी क्षेत्र की नौकरी के लिये योग्य समझा जाना चाहिये।
यदि किसी के पास अपने स्वयं का स्थापित व्यवसाय, व्यापार या काम-धंधा हो, तो उस घर में दो लडके हों तो उनमें से केवल एक ही लडके को सरकारी क्षेत्र में रोजगार प्रदान किया जाना चाहिये।
ऐसे लोग यदि सरकार के साथ जुड़ कर काम करना ही चाहें तो उन्हें केवल *सेना मे भर्ती के योग्य ही समझा जाना चाहिये।
केंद्रीय सरकार को राज्य सरकारों के साथ मिलकर एक कानून बनना चाहिये ताकि बेरोजगारी के जड़ पर मार किया जा सके, जिसने इसे एक बहुत बड़ा एजेंडा बना के रख दिया है !
*यह लेख आपको कैसा लगा। पढ़ कर मुझे जरुर कमेंट करें !
धन्यवाद
Excellent post !
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