*आखिर गरुड़ पुराण हमें क्यों पढ़ना चाहिए?*

गरुड़ पुराण हमें क्यों पढ़ना चाहिए?


आखिर गरुड़ पुराण हमें क्यों पढ़ना चाहिए?

आज के इस लेख में हम इस संसार की सबसे रहस्यमयी पुस्तक गरुड़ पुराण के बारें में जानेंगे कि क्यों हमें इस पुस्तक को पढ़ना चाहिए?, आखिर इस पुस्तक में ऐसा क्या लिखा है जिसे हमें जानना चाहिए?, क्यों यह पुस्तक संपूर्ण मानव जीवन के लिए उपयोगी है? इस पुस्तक के अध्ययन करने से मनुष्यों को क्या लाभ मिलता है? लेकिन उससे पहले जानेंगे कि:-

  गरुड़ पुराण क्या है?

गरुड़ पुराण एक प्राचीन भारतीय पुराण है जो हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। यह वेदों के बाद संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसे महर्षि वेदव्यास ने लिखा था। गरुड़ पुराण को विष्णु पुराण के अष्टादश पुराणों में गिना जाता है और इसमें विष्णु भगवान की महात्म्य, भक्ति, धर्म, आचार-व्यवहार और कई रहस्यमय विषयों पर चर्चा की गई है।


गरुड़ पुराण का नाम गरुड़ नामक वाहन से प्राप्त हुआ है, जो कि भगवान विष्णु के वाहन के रूप में प्रसिद्ध है। इस पुराण में विष्णु भगवान के लीला और महिमा के वर्णन के साथ-साथ विभिन्न तपोवनों में भक्तों द्वारा किए जाने वाले व्रत, पूजा, ध्यान और स्नान आदि के फल वर्णन भी है। इसमें मृत्यु और मृत्यु के बाद के जीवन के विषय में भी विस्तृत चर्चा की गई है।


गरुड़ पुराण के अनुसार, इस संसार में चार वेद, शिक्षा, कल्प, व्याकरण, न्याय, छन्द, ज्योतिष, पुराण, मीमांसा और धर्मशास्त्र जैसे नौ विद्याओं का विकास हुआ है। इनमें से प्रत्येक विद्या को वेदव्यास ने अपने गुरुओं को शिक्षित किया था और उनके द्वारा प्राप्त ज्ञान को विश्व को प्रदान किया था। इसके अलावा, गरुड़ पुराण में धर्म, कर्म, मोक्ष, धर्माचार, पाप, पुण्य और आत्मा के बारे में विस्तृत विवेचना भी की गई है।


इस पुराण में मृत्यु के बाद के जीवन का भी वर्णन किया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार, मनुष्य को चार योनियों में जन्म लेने का अवसर मिलता है - मनुष्य, तिर्यक, देव और दानव योनि। इनमें से मनुष्य योनि में जन्म लेने को ही सबसे श्रेष्ठ बताया गया है, क्योंकि इसमें आत्मा को भगवान की प्राप्ति के लिए सुअवसर मिलता है।


गरुड़ पुराण में नरक और स्वर्ग के वर्णन से जुड़े भी कई कथाएं हैं। इसके अनुसार, पापों के कारण मनुष्य नरक में भी जन्म ले सकता है, जहां उसे भयानक और दर्दनाक प्रायश्चित्त भुगतने पड़ते हैं।


 गरुड़ पुराण कितना पुराना है?

गरुड़ पुराण एक प्राचीन भारतीय पुराण है जो हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। यह वेदों के बाद संस्कृत भाषा में लिखा गया था। इस पुराण के रचना का समय आधुनिक अनुसंधानों के आधार पर करीब 3,000 ईसा पूर्व (ई.पू.) और 1,000 ईसा बाद (ई.बी.) के बीच माना जाता है। यह महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित हुआ था, जिन्होंने भगवद गीता और अन्य पुराणों की रचना भी की थी।


गरुड़ पुराण का नाम गरुड़ नामक वाहन से प्राप्त हुआ है, जो कि भगवान विष्णु के वाहन के रूप में प्रसिद्ध है। गरुड़ पुराण विष्णु पुराण के अष्टादश पुराणों में गिना जाता है, जिसमें भगवान विष्णु की महात्म्य, भक्ति, धर्म, आचार-व्यवहार, रहस्यमय विषयों पर चर्चा और मृत्यु के बाद के जीवन का वर्णन है।


इस पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने गरुड़ को इस पुराण की रचना के लिए प्रेरित किया था, जिसे उन्होंने अपने शिष्य वेदव्यास से करवाई थी। इस पुराण में वेदव्यास ने विष्णु भगवान के चारित्र, लीला, अवतारों, उनके पूजन विधि, व्रत एवं तीर्थ यात्रा, धर्म, कर्म, भक्ति और मोक्ष के विषय में चर्चा की है।


गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद के जीवन का भी वर्णन किया गया है। इसमें विविध नरकों और स्वर्गों के बारे में बताया गया है, जहां जीवात्मा अपने पूर्व कर्मों के अनुसार भोग और पुनर्जन्म के लिए भेजा जाता है।


इस पुराण में विष्णु के दस अवतारों का वर्णन भी है, जिनमें मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि शामिल हैं। इन अवतारों के माध्यम से भगवान विष्णु ने धरती पर अधर्म का नाश किया और धर्म की स्थापना की।


गरुड़ पुराण के अनुसार, मनुष्य को चार योनियों में जन्म लेने का अवसर मिलता है - मनुष्य, तिर्यक, देव और दानव योनि। इनमें से मनुष्य योनि में जन्म लेने को ही सबसे श्रेष्ठ बताया गया है, क्योंकि इसमें आत्मा को अपनी मुक्ति का मार्ग मिलता है। 


  आखिर गरुड़ पुराण में ऐसा क्या लिखा है?

गरुड़ पुराण भगवान विष्णु के महत्वपूर्ण पुराणों में से एक है और इसमें भगवान विष्णु की महिमा, भक्ति, धर्म, आचार-व्यवहार, मृत्यु के बाद के जीवन और धर्मसंबंधी विषयों पर विस्तृत चर्चा होती है। इस पुराण के रचयिता महर्षि वेदव्यास हैं, जिन्होंने इसे वेद पुराण संबंधी धर्मिक ज्ञान को लोगों के बीच फैलाने के लिए रचा था। गरुड़ पुराण के पांच अध्याय होते हैं, जो निम्नलिखित विषयों को संवेदनशीलता से चित्रित करते हैं:-


1. भगवान विष्णु की महिमा: गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों के वर्णन और उनकी महिमा की गाथाएं हैं। इसमें मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि अवतारों के चरित्र का विस्तृत वर्णन होता है।


2. धर्म और कर्म: इस पुराण में धर्म, अधर्म, कर्म, पुण्य, पाप, धर्माचार, विधर्म, यज्ञ, दान, व्रत, संस्कार, ध्यान, प्रार्थना, तपस्या आदि के विषय में बहुत सारी बातें बताई जाती हैं।


3. मृत्यु के बाद का जीवन: गरुड़ पुराण में शरीर के त्याग के बाद आत्मा का स्वर्ग और नरक में जाने का विवरण होता है। इसमें विभिन्न पापों के अनुसार जीवात्मा को नरकों में भेजा जाता है, जहां उसे अपने पापों के अनुसार प्रायश्चित्त भुगतने पड़ते हैं। इसके बाद जीवात्मा को दोबारा मनुष्य या देव योनि में जन्म लेने का अवसर मिलता है।


4. पुनर्जन्म और मोक्ष: गरुड़ पुराण में पुनर्जन्म के सिद्धांत और मोक्ष की प्राप्ति के विषय में चर्चा होती है। इसमें विभिन्न उपायों का वर्णन किया गया है जिनके द्वारा व्यक्ति भगवान की कृपा प्राप्त करके मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।


5. व्रत और पूजा: गरुड़ पुराण में विष्णु भगवान के व्रत और पूजा के महत्व का वर्णन होता है। इसमें विभिन्न व्रतों के फल, पूजा विधि, पूजा सामग्री और अनुष्ठान के विवरण होते हैं।

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  गरुड़ पुराण में मृत्यु का रहस्य  

गरुड़ पुराण में मृत्यु का रहस्य एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसमें जीवन और मृत्यु के प्रक्रिया को समझाने का प्रयास किया गया है। यह पुराण विषय समृद्धि, जन्म-मृत्यु, पाप-पुण्य, आत्मा के पुनर्जन्म और मोक्ष जैसे मानवीय जीवन के महत्वपूर्ण सवालों पर गहराई से चर्चा करता है। इसमें निम्नलिखित बिंदुओं पर विवेचना की गई है:-


1. जीवन की अस्थायीता: गरुड़ पुराण में जीवन की अस्थायीता और मृत्यु के अटल नियम का वर्णन होता है। यह बताता है कि जीवन अनिश्चित है और मृत्यु के समय कोई भी व्यक्ति निश्चित नहीं होता। इससे मनुष्य को अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाने और धर्मपरायण जीवन जीने की आवश्यकता होती है।


2. पुनर्जन्म के सिद्धांत: गरुड़ पुराण में पुनर्जन्म के सिद्धांत का विस्तृत वर्णन होता है। इसमें जीवात्मा का चक्रवात और उसके द्वारा अगले शरीर में प्रवेश का विवरण होता है। मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार अगले जन्म की प्राप्ति करता है, जो उसके वर्तमान और पूर्व जन्म के कर्मों पर निर्भर करती है।


3. पाप और पुण्य का फल: गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मनुष्य के अच्छे और बुरे कर्मों का फल उसे जीवन में ही भोगना पड़ता है। जीवात्मा अपने कर्मों के अनुसार सुख और दुख का अनुभव करती है और उसे धर्मपरायण जीवन जीने का सुझाव दिया जाता है।


4. मृत्यु के बाद का जीवन: गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद जीवात्मा का स्वर्ग और नरक में जाने का वर्णन होता है। इसमें विभिन्न पापों के अनुसार जीवात्मा को नरकों में भेजा जाता है, जहां उसे अपने पापों के अनुसार प्रायश्चित्त भुगतने पड़ते हैं। इसके बाद जीवात्मा को दोबारा मनुष्य या देव योनि में जन्म लेने का अवसर मिलता है।


5. मोक्ष की प्राप्ति: गरुड़ पुराण में मोक्ष की प्राप्ति के विभिन्न उपायों का वर्णन होता है। यहां बताया गया है कि संसार में मोक्ष को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को किन-किन चरणों में और किन विधियों द्वारा मोक्ष को प्राप्त करना चाहिए। 

गरुड़ पुराण हमें क्यों पढ़ना चाहिए?


 गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद क्या होता है?

गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद जीवात्मा का जीवन एक नए अध्याय में जारी रहता है। मृत्यु शरीर के त्याग के बाद, आत्मा का अदृष्ट शरीर यानी सूक्ष्मशरीर (सूक्ष्म देह) जीवित रहता है और उसे यातनापूर्ण प्रेत लोक में ले जाया जाता है। इस प्रेतलोक में जीवात्मा का अनुभव अधिकतर उसके कर्मों के अनुसार होता है और वह वहां अपने आनंद और कष्ट का भोग करता है। यह उसके पुर्वजन्म के कर्मों के फलों का अनुभव करने का एक रूप होता है।


गरुड़ पुराण में इस प्रेतलोक के कुछ विभागों का वर्णन निम्नलिखित है:-


1. वैश्वानर लोक: यह लोक उन आत्माओं के लिए होता है जो अधर्मी होते हैं और अपने जीवन में पाप करते हैं। यहां जीवात्मा को भयानक और दर्दनाक प्रायश्चित्त भोगने पड़ते हैं। वैश्वानर लोक में जीवात्मा को जलवायु और भयानक दृश्य देखने को मिलते हैं।


2. तपो लोक: यह लोक धार्मिक और नैतिक जीवात्माओं के लिए होता है, जो अपने जीवन में धार्मिक कर्म करते हैं। यहां जीवात्मा को भगवान की उपासना, ध्यान और तपस्या करने का अवसर मिलता है।


3. सूर्य लोक: यह लोक ज्ञानी और देवी-देवताओं के भक्तों के लिए होता है। यहां जीवात्मा को उच्च दर्जे की सुखी जीवन-शैली मिलती है और वह देवी-देवताओं की सेवा करते हैं।


4. चन्द्र लोक: यह लोक धार्मिक और शुद्ध चित्त वाले जीवात्माओं के लिए होता है। यहां जीवात्मा को भगवान का साक्षात्कार करने का अवसर मिलता है और वह भगवान की उपासना करते हैं।


5. विश्वे देव लोक: यह लोक उन जीवात्माओं के लिए होता है जो निःसंदेह भक्ति रखते हैं और समस्त भूत-प्रेतात्माओं के प्रति वात्सल्य भाव रखते हैं। यहां जीवात्मा को अपने प्रियजनों के साथ सुखी रहने का अवसर मिलता है।


इन लोकों के अनुसार जीवात्मा अपने पुर्वजन्म के कर्मों के अनुसार भोग और पुनर्जन्म के लिए भेजी जाती है।


  गरुड़ पुराण कब पढ़ना चाहिए?

गरुड़ पुराण को पढ़ना सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ माना जाता है। यह वेद-पुराण संबंधी श्रेणी में आता है और भगवान विष्णु के महत्वपूर्ण अवतार, भक्ति, धर्म, कर्म, पुनर्जन्म और मोक्ष के मार्ग पर ज्ञान देने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखा गया है, लेकिन आजकल इसे हिंदी भाषा में भी उपलब्ध किया गया है। गरुड़ पुराण को पढ़ने का समय और योग्यता कुछ निम्नलिखित तत्वों पर आधारित होती है:-


1. धार्मिक अध्ययन की इच्छा: गरुड़ पुराण को पढ़ने के लिए आपको धार्मिक अध्ययन की इच्छा और विश्वास होना चाहिए। यह ग्रंथ धार्मिक ज्ञान और सम्प्रदाय के विकास को समझने में मदद करता है।


2. संदर्भ और उम्र: यदि आप गरुड़ पुराण को पढ़ने का निर्णय कर रहे हैं, तो इसके संदर्भ और उम्र का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। यह ग्रंथ अधिकतर वयस्कों और युवाओं के लिए उपयुक्त होता है जो धार्मिक ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं।


3. शिष्यता और गुरुकुल पढ़ाई: गरुड़ पुराण को पढ़ने के लिए शिष्यता और गुरुकुल पढ़ाई की परम्परा को मानना महत्वपूर्ण होता है। यह धार्मिक शिक्षा का महत्व बताता है और आचार्य और शिष्य के बीच ज्ञान के अद्यतन प्रवाह को दर्शाता है।


4. विश्वास: गरुड़ पुराण को पढ़ते समय विश्वास रखना महत्वपूर्ण है। यह धार्मिक ग्रंथ है, और इसमें बताए गए तत्वों पर विश्वास करना आवश्यक है।


5. आध्यात्मिक शोध: गरुड़ पुराण में आध्यात्मिक शोध करने की इच्छा होनी चाहिए। यह ग्रंथ आत्मज्ञान और मोक्ष के मार्ग पर ज्ञान देता है और आत्मा के उद्धार के लिए एक अच्छा स्रोत साबित होता है।


गरुड़ पुराण का पठन विधि काफी सरल होती है। यदि आप संस्कृत नहीं जानते हैं, तो आप हिंदी में इसे पढ़ सकते हैं। इसे ध्यानपूर्वक और श्रद्धाभक्ति से पढ़ने से इसके भेदों का पता चलता है। 


  हमें गरुड़ पुराण क्यों पढ़ना चाहिए? 

गरुड़ पुराण एक प्राचीन वेद-पुराण है जो हिंदू धर्म के ग्रंथों में से एक है। इसमें भगवान विष्णु के महत्वपूर्ण अवतार, धर्म, कर्म, भक्ति, पुनर्जन्म और मोक्ष के मार्ग पर ज्ञान दिया गया है। इस ग्रंथ में मनुष्य जीवन के मूल्य, उद्देश्य, धर्मिक कर्तव्य, शुभ कर्मों की महत्ता, आचार विचार और समाज सेवा के महत्व के बारे में भी बताया गया है। इसके कुछ मुख्य कारणों को निम्नलिखित रूप में समझाया गया है:-


1. आत्मिक उन्नति के लिए: गरुड़ पुराण में आत्मा के उद्धार और उन्नति के विषय में विस्तृत ज्ञान दिया गया है। इसके माध्यम से हम अपने आत्मा को समझने और स्वयं के साथ एक सशक्त और शांतिपूर्वक संबंध बनाने में समर्थ हो सकते हैं।


2. धार्मिक शिक्षा के लिए: गरुड़ पुराण धार्मिक ज्ञान और शिक्षा का बहुत अच्छा स्रोत है। इसमें धर्म, नैतिकता, सदाचार, समाज सेवा और परम्परागत मूल्यों का महत्वपूर्ण ज्ञान दिया गया है जो अपने जीवन में अपना सकते हैं।


3. मोक्ष के मार्ग की प्रेरणा: गरुड़ पुराण में मोक्ष के मार्ग के बारे में विवेचना है। इसमें आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति के लिए सही दिशा दिखाई गई है जो विशेषकर आध्यात्मिक उन्नति और चेतना की अवधारणा पर आधारित है।


4. भक्ति और ध्यान: गरुड़ पुराण में भक्ति और ध्यान के महत्व का वर्णन है। इसमें भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और भक्ति की महत्ता को बताया गया है जो मन को शांत करता है और सच्चे सुख की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन करता है।


5. जीवन में सही मार्गदर्शन: गरुड़ पुराण में विविध विषयों पर महात्म्य और सही मार्गदर्शन है। इसके माध्यम से हम अपने जीवन में सही और धार्मिक रूप से नियमितता और संतुलन बनाए रख सकते हैं।


गरुड़ पुराण को पढ़ने से हमें अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और सुधार हो सकता है। इसमें दिए गए धार्मिक संदेश और महात्म्य की मदद से हम अपने आप को (आत्मा) ऊंचाईयों तक पहुंचा सकते हैं। 


  क्या आज के समय में गरुड़ पुराण की उपयोगिता है?

गरुड़ पुराण एक प्राचीन वेद-पुराण है जो भगवान विष्णु के महत्वपूर्ण अवतार, धर्म, कर्म, पुनर्जन्म और मोक्ष के मार्ग पर ज्ञान देता है। यह भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। हालांकि, आज के समय में इसकी उपयोगिता और महत्व पर कुछ विचार किया जा सकता है:-


1. धार्मिक शिक्षा के लिए: गरुड़ पुराण धर्म, नैतिकता, सदाचार, समाज सेवा और परम्परागत मूल्यों के विषय में उपयोगी ज्ञान प्रदान करता है। यह धार्मिक शिक्षा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जो आत्मविकास और सामाजिक सद्भावना को बढ़ावा देता है।


2. आत्मिक उन्नति के लिए: गरुड़ पुराण आत्मा के उद्धार और उन्नति के विषय में विचार करने की प्रेरणा देता है। इसके माध्यम से हम अपने आत्मा को समझने और स्वयं के साथ एक सशक्त और शांतिपूर्वक संबंध बनाने में समर्थ हो सकते हैं।


3. शांति और मार्गदर्शन: गरुड़ पुराण आत्मिक शांति और मोक्ष के मार्ग की प्रेरणा देता है। यह धार्मिक ग्रंथ मन को शांत करता है और सच्चे सुख की प्राप्ति के लिए सही दिशा दिखाता है।


4. आचार विचार और समाज सेवा: गरुड़ पुराण में आचार विचार, समाज सेवा और नैतिकता के महत्व का वर्णन है। यह धार्मिक ग्रंथ समाज में अच्छे संस्कार और सद्भावना को प्रोत्साहित करता है।


5. धार्मिक अध्ययन की प्रेरणा: गरुड़ पुराण धार्मिक ज्ञान और अध्ययन की प्रेरणा देता है। इसके माध्यम से लोग अपने धार्मिक विचारधारा को समझते हैं और धर्म संस्कृति की रक्षा करते हैं।


आज के तेजी से बदलते दुनिया में, धर्म और धर्मिक ग्रंथों के महत्व को भूलकर भी, गरुड़ पुराण की उपयोगिता नई पीढ़ियों के लिए भी है। इस ग्रंथ में उपलब्ध ज्ञान और उपदेश न सिर्फ धार्मिक शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इससे आत्मविकास, संतुलन, शांति और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। इसलिए, इसे पढ़कर और अध्ययन करके हम अपने जीवन में एक उत्तम और सरल एवं सफल जीवन जी सकते हैं!

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