Radha krishna |
जानिये राधा-कृष्ण की अज्ञात सच्चाई!
Radha krishna हिंदू धर्म में दो प्रमुख देवताओं में से हैं। उन्हें प्रेम और भक्ति के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। राधा कृष्ण की कथाएं भारत के वैभवशाली इतिहास में एक अहम भूमिका निभाती हैं।
राधा कृष्ण की कहानी वृंदावन के क्षेत्र में हुए थी। कृष्ण बचपन से ही एक बांसुरी बजाने वाला बालक था। उनके खूबसूरत गानों की आवाज दूर-दूर तक सुनाई देती थी। राधा एक सुन्दर गोपिका थी जो वृंदावन में रहती थी। वह कृष्ण की सबसे अच्छी और घनिष्ठ मित्र थीं. वह उनके साथ खेलने और फूलों को चुनने में बहुत रुचि रखती थी।
कृष्ण और राधा के बीच प्रेम की कहानी बहुत प्रसिद्ध है। उनके प्रेम को जीवनभर याद रखा जाता है। वृंदावन में हर साल होली का त्योहार मनाया जाता है और इस त्योहार में राधा और कृष्ण का प्रेम भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
राधा कौन थी ?
राधा हिंदू धर्म में एक ऐतिहासिक Character है जो श्री कृष्ण की प्रेमिका थीं। वह वृंदावन के एक छोटे से गांव में रहती थीं। राधा का नाम वृंदावन में जाना-माना था और उनकी कहानी हमेशा से ही भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है।
राधा के जन्म के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन उन्हें कृष्ण की बचपन से ही अनूठी मित्र बताया जाता है। राधा कृष्ण के साथ उनकी बांसुरी की धुनों में नाचती और खेलती थीं। राधा और कृष्ण के प्रेम की कहानी भारतीय संस्कृति के महान इतिहास में सबसे रोमांचक और प्रसिद्ध कहानियों में से एक है।
राधा कृष्ण की कहानी में, राधा का प्रेम कृष्ण से बहुत गहरा था। उन्हें कृष्ण को देखते ही प्यार हो गया था और दोनों मिलकर एक दूसरे से प्यार करने लगे थे। राधा कृष्ण के साथ नाचती, खेलती और प्रेम व्यक्त करती थीं।
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क्या राधा और कृष्ण का प्रेम समाज ने स्वीकारा था ?
राधा और कृष्ण का प्रेम भारतीय संस्कृति में सबसे अधिक मान्यता प्राप्त होने वाले प्रेमों में से एक है। इस प्रेम को हमेशा से समाज ने स्वीकारा है और उसे समाज के भीतर आम तौर पर स्वीकारा जाता रहा है।
हालांकि, कुछ लोगों ने इस प्रेम को नकारा है और इसे अश्लील और निरर्थक कल्पनाओं के साथ जोड़ने का प्रयास किया है। लेकिन बहुत सारे लोग राधा-कृष्ण के प्रेम को अमूल्य मानते हैं और इसे आदर और सम्मान का विषय मानते हैं।
वैदिक संस्कृति में, प्रेम का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। भगवान श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम की कहानी वैदिक संस्कृति में भी उल्लेखित है। उनका प्रेम एक आसाधारण रूप से मान्यता प्राप्त है।
भारतीय समाज में, राधा और कृष्ण के प्रेम को अधिक मान्यता प्राप्त होने वाले प्रेमों में से एक माना जाता है। यह प्रेम हमेशा से समाज के भीतर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है और लोग उसे स्वीकारते आए हैं।
तो फिर कृष्ण ने राधा को क्यों छोड़ दिया था ?
राधा-कृष्ण के प्रेम की कहानी भारतीय संस्कृति में सबसे अधिक प्रसिद्ध है। लेकिन इस प्रेम के संबंध में एक सवाल उठता है कि क्यों कृष्ण ने राधा को छोड़ दिया?
इस प्रश्न का जवाब कुछ हद तक धार्मिक और भावनात्मक होता है। भारतीय धर्म एक ऐसा धर्म है जिसमें प्रेम और भक्ति का विशेष महत्व होता है। इस धर्म में, जीवन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है भगवान की भक्ति करना।
कृष्ण भगवान की लीलाओं का जन्म लीलापूर्वक होता है। वे भक्तों को प्रेम और भक्ति का संदेश देते हैं। कृष्ण राधा से प्रेम करते थे, लेकिन कृष्ण ने स्वयं की जीवन कहानी से लोगों को यह संदेश दिया दिया कि भक्ति अधिक महत्वपूर्ण होती है और इससे ऊपर कुछ नहीं होता।
कृष्ण ने राधा को कभी छोड़ा नहीं था। यह सिर्फ एक धारणा है कि उन्होंने राधा को छोड़ दिया। राधा और कृष्ण के प्रेम की कहानी एक भावनात्मक और धार्मिक कहानी है, जिसमें प्रेम और भक्ति के उपदेश होते हैं।
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क्या राधा देवी-लक्ष्मी की अवतार थीं?
राधा देवी के बारे में अनेक मान्यताएं हैं। कुछ लोग मानते हैं कि वे भगवान कृष्ण की प्रेमिका थीं, तो कुछ लोग उन्हें भगवान कृष्ण की शक्ति का अवतार मानते हैं। इसके अलावा, कुछ लोग मानते हैं कि राधा देवी भगवान विष्णु की पत्नी, देवी लक्ष्मी का अवतार थीं।
लेकिन धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं के अनुसार, राधा देवी देवी लक्ष्मी का अवतार नहीं थीं। देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं और वे संसार की सम्पदा, समृद्धि और सौभाग्य की देवी हैं। उन्हें श्रीवत्स लक्षण भी प्रदान किया गया है।
वहीं, राधा देवी को भगवान कृष्ण की प्रेमिका और सद्गुणों से युक्त आत्मा का प्रतिनिधित्व करने वाली महान स्त्री माना जाता है। राधा देवी का प्रेम और भक्ति कृष्ण भगवान की उपासना के एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
इसलिए, धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो राधा देवी देवी लक्ष्मी का अवतार नहीं थीं। वे भगवान कृष्ण की एक अनूठी और महान प्रेमिका एवं भक्त थीं।
राधा कृष्ण की पिछले जन्म में कौन थी?
हिंदू धर्म के अनुसार, जीवात्मा निरंतर जन्म-मृत्यु के चक्र में घूमती रहती है। इसलिए, राधा देवी के पिछले जन्म के बारे में एक स्पष्ट उल्लेख नहीं है।
हालांकि, कुछ पौराणिक कथाओं में राधा देवी के पिछले जन्म के बारे में बताया गया है। ये कथाएं विभिन्न होती हैं और अलग-अलग आधारों पर आधारित होती हैं।
कुछ कथाओं के अनुसार, राधा देवी अर्जुन की पत्नी, सुभद्रा की बहन थीं। वह अपने पिता के साथ द्वारका में रहती थीं और वहां उन्होंने भगवान कृष्ण से मिलकर उनसे प्यार करना शुरू किया था।
दूसरी कथाओं में, राधा देवी को अग्रसेन के कुमार बृजराज की पुत्री माना गया है। वह भगवान कृष्ण की प्रेमिका बन गई थीं।
तीसरी कथाओं में, राधा देवी को ब्रह्मा ऋषि की पुत्री माना गया है जिसने धर्म की रक्षा के लिए भूमि पर अवतार लिया था, तथा बाद में Radha krishna की प्रेमिका बन गई थीं।
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देवी पुराण के अनुसार राधा कृष्ण की पिछले जन्म में कौन थी?
देवी पुराण में राधा देवी के पूर्वजन्म के बारे में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। हालांकि, देवी पुराण में राधा देवी के बारे में उल्लेख किए गए हैं। इस पुराण में बताया गया है कि भगवान शिव की तपस्या से प्रभावित होकर, भगवान विष्णु ने अपने स्वरूप को प्रकट करके अपनी शक्ति के साथ दुनियां को धर्म के मार्ग पर लाने का निर्णय लिया।
उन्होंने अपनी शक्ति को स्वरूपा नामक एक सुंदरी में प्रवेश करवाया जो अत्यंत सुंदर और गुणवान थी। स्वरूपा ने भगवान विष्णु को अपना पति बनाया और वे मिलकर धर्म के मार्ग पर लोगों को लाने के लिए उनके गुरु हो गए थे.
विष्णु पुराण में बताया गया है कि स्वरूपा और विष्णु के बीच प्रेम संबंध बढ़ा और उन्होंने एक-दूसरे से अगले जन्म में मिलने का वादा किया।
कुछ लोग विश्वास करते हैं कि राधा देवी स्वरूपा की पुत्री थीं जो उन्हें उस जन्म में मिली थी। इस जन्म में उन्होंने अपने वादे को पूरा करते हुए विष्णु के साथ मिलकर अपनी भक्तिमयी प्रेमलीला को पूर्ण किया।
कृष्ण के छोड़ने के बाद राधा का क्या हुआ ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कृष्ण जब वृंदावन छोड़कर चले गए तो राधा ने उनकी याद में बहुत दुःख झेला। राधा कई साल तक वृंदावन में रहकर कृष्ण की यादों में तड़पती रही।
राधा कई साल तक वृंदावन में रही और वहां के लोगों के साथ अपना जीवन व्यतीत किया। राधा को उनके प्यार का अभाव काफी दुख देता था, लेकिन उन्होंने अपने आपको कृष्ण की आध्यात्मिक सेवा में समर्पित कर दिया था।
कुछ कथाओं में बताया जाता है कि राधा जी वृंदावन के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी घूमी और उन्होंने वहां के लोगों को धर्म की शिक्षा दी। उन्होंने अपनी जीवन शैली से लोगों को प्रेरित किया और उन्हें धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया।
राधा देवी के बारे में कई कथाएं हैं, जो भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। महाभारत और पुराणों में भी उनका उल्लेख किया गया है।
राधा की मृत्यु कैसे हुई ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, राधा के बारे में उल्लेख किया जाता है कि उन्होंने जमुना नदी के किनारे बहुत समय बिताया था और उन्हें जमुना का पानी पीते हुए देखा जाता था। कुछ कथाओं में बताया जाता है कि राधा ने अपने जीवन का अंत जमुना नदी के किनारे चले जाने से पहले तय कर लिया था।
अन्य कथाओं में बताया जाता है कि राधा का अंत वृंदावन में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिनों में वृंदावन के गोवर्धन पर्वत पर ध्यान लगाया था और वहां पर उनकी मृत्यु हो गई थी।
कुछ कथाओं में बताया जाता है कि राधा की मृत्यु के बाद कृष्ण ने उनका अंतिम संस्कार किया और उन्हें उनकी अंतिम वाचा के अनुसार वृंदावन के गोवर्धन पर्वत पर दफनाया था।
राधा के जीवन के अंत के बारे में विभिन्न कथाएं हैं और इनके बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। लेकिन राधा की उपासना और प्रेम की कथाएं हमेशा से भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण रही हैं.
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राधा कृष्ण की मूर्तियां और चित्र कब से बनने शुरू हुए?
राधा कृष्ण की मूर्तियों और चित्रों की कला भारतीय संस्कृति में बहुत प्राचीन है। राधा कृष्ण के चित्र और मूर्तियों का प्रचलन वैष्णव सम्प्रदाय के उदय के समय से शुरू हुआ था।
वैष्णव सम्प्रदाय के उदय से पहले, भारतीय कला में राधा कृष्ण का चित्र विशेष रूप से नहीं पाया जाता था। उस समय वैष्णव सम्प्रदाय ने राधा कृष्ण के भक्तों की संख्या में वृद्धि की थी और उन्होंने राधा कृष्ण की चित्रों और मूर्तियों का निर्माण शुरू किया।
पहली बार राधा कृष्ण की मूर्तियों का निर्माण मथुरा और वृंदावन में किया गया था। इन मूर्तियों में राधा कृष्ण को आसानी से पहचाना जा सकता था।
इन मूर्तियों के बाद, राधा कृष्ण की मूर्तियों का निर्माण पूरे भारत में फैला हुआ था। उत्तर भारत में, राधा कृष्ण की मूर्तियां आमतौर पर लकड़ी, पत्थर या मिट्टी से बनाई जाती हैं।
क्या राधा कृष्ण का कोई त्यौहार मनाया जाता है?
हां, भारत में Radha krishna के बीच प्रेम की उत्सुकता के कारण कई त्यौहार मनाए जाते हैं। राधा कृष्ण के बीच प्रेम का त्यौहार वैष्णव सम्प्रदाय के साथ-साथ भारतीय जनता के बीच भी महत्वपूर्ण होता है।
भारत में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की आठवीं तिथि को राधा अष्टमी के नाम से मनाया जाता है। इस तिथि को राधा कृष्ण की पूजा, अर्चना, कथा पाठ और भजन-कीर्तन के साथ मनाया जाता है।
इसके अलावा, भारत में राधा कृष्ण जयंती, होली और जान्माष्टमी जैसे अन्य त्यौहार भी मनाए जाते हैं, जो राधा कृष्ण के प्रेम को दर्शाते हैं। इन त्यौहारों में लोग राधा कृष्ण की मूर्तियों के आगे पूजा-अर्चना करते हैं, कथाओं को सुनते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और प्रसाद बांटते हैं।
वैष्णव सम्प्रदाय में, राधा कृष्ण के बीच प्रेम का त्यौहार हरिवंश पुराण की एक कथा से जुड़ा हुआ है। इस कथा में राधा कृष्ण के प्रेम का वर्णन किया गया है.
Jai Radha krishna !
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