*क्या ब्रह्मांड में कई आयाम हैं?, (जानें 64 dimensions in vedas का सच!)*

 


क्या ब्रह्मांड में कई आयाम हैं?,(जानें 64 dimensions in vedas का सच!) 

 आधुनिक विज्ञान की स्ट्रिंग थियूरी के अनुसार इस दुनियाँ में 10 से 11 आयामों की मौजूदगी की संभावना है। जबकि हिन्दु  धर्म में 64 dimensions in vedas में वर्णित है। मोटे तौर से पुराण 10 आयामों की बात करता है। सनातन धर्म के विपरीत यहुदी, इस्लाम और ईसाइयत केवल 4 से 5 आयामों की ही बात करते हैं।

 तो आखिर ये सृष्टि के आयाम क्या होते हैं ? शायद गंभीरता से पढ़े-लिखे लोग इन आयामों के बारे में जानते हों, किन्तु जनसाधारण लोग तो केवल आयाम शब्द के बारे में ही जानते हैं परंतु उसके अर्थ और विस्तार के बारे में नहीं जानते। तो आज का यह लेख समर्पित है उन जनसाधारण लोगों के लिये जो सृष्टि के इन आयामों के बारे में विस्तारपूर्वक जानना चाहते हैं।

  सृष्टि के आयाम का अर्थ

"आयाम शब्द का अर्थ बड़ा ही सरल होता है। जिसका मतलब होता है स्थान, जगह (माप), चादर या पर्दा।

 स्थान या जगह के अर्थ में तो इसका मतलब सीधा-सादा सा है कि हमारी दिखाई देने वाली इस दुनियाँ के अलावा भी कोई दूसरी जगह या स्थान का होना। 

 चादर या पर्दे के अर्थ में इसका मतलब होता है कि हमारी यह दुनियाँ जिस चादर या पर्दे के भीतर है उससे परे के चादर या पर्दे के भीतर की दुनियाँ जो हमारी आँखों, हमारी सोच-समझ से परे की है।"

हिन्दु धर्म में बहुआयामिक सृष्टि का सिद्धान्त

 सनातन धर्म के अनुसार इस सृष्टि में अलग-अलग ब्रह्मांडीय आयाम हैं। हिन्दू धर्म में सृष्टि की उत्पत्ति का क्रम कुछ इस प्रकार बताया गया है :-

 *सर्वप्रथम अनन्त-अनादि (ईश्वर) विद्यमान था,

 अनन्त से महत्त अर्थात भगवान की उत्पत्ति हुई,

 भगवान से अन्धकार जन्मा,

 फिर अन्धकार से आकाश जन्मा,

 आकाश से वायु, वायु से अग्नि, अग्नि से जल, जल से पृथ्वी, पृथ्वी से वनस्पति, वनस्पति से अन्न, अन्न से वीर्य और फिर वीर्य से प्राणियों (जीवों) का जन्म हुआ।

 तब मनुष्यों की समझ और ज्ञान के लिये वेदों का निर्माण हुआ। भगवान, जिसके बारे में हम पूरी तरह से वर्णन भी नहीं कर सकते हैं, वेदों में हमें उसी परमसत्य को जानने के लिये बहुत-सी बातें बताई गईं हैं।

 आज विज्ञान अप्नी नवीनतम खोजों से जिन 10 से 11 आयामों की बात कर रहा है उनके बारे में तो हमारे वेदों में हजारों वर्ष पूर्व ही सविस्तारपूर्वक लिख दिया गया था।

 यह सृष्टि अर्थात आयाम गणित की पद्धति के अनुसार निर्मित हैं।

 वेद और विज्ञान दोनों ही यह मानते हैं कि यह संपूर्ण सृष्टि गणित के नियमों के अनुसार बनी हुई है। यहाँ कुछ भी अव्यवस्थित तरीके से निर्मित नहीं है। हर चीज और जगह या स्थान तथा रूप और रंग भी एक निश्चित गणित की पद्धति पर आधारित है।

 हर चीज का एक आकार, माप और रुप और रंग होता है तथा उसकी अपनी एक गति भी होती है, तो उसे ही आयाम कहते हैं।

 यदि हम भोजन बनाते हैं, तस्वीर, मूर्ति, सड़क, भवन, मीनार, गाड़ी, खेत, वस्त्र या कुछ भी बनाते हैं वे सब एक निश्चित माप और पैमाने के अनुसार ही बनाई जाती हैं। अन्य जीव-जन्तुओं के क्रियाकलाप भी एक निश्चित पैमाने के अनुसार होते हैं।

 संक्षेप में कहें तो यह सारी दुनियाँ गणित के ताने-बाने के अनुसार बुनी हुई है। गणित की सहायता से ही हम पता लगा सकते हैं कि हर ग्रह एक दूसरे से, हर तारे एक दूसरे से कितनी दूरी पर हैं। इस आयामिक सृष्टि को पूरी तरह समझना बड़ा ही जटिल है, परन्तु फिर भी इसे धीरे-धीरे समझा जा सकता है।



हम कौन से आयाम में रहते हैं ?

 हम मनुष्यों की दुनियाँ तीन आयामों से बनी है और इसे हम 3D (Third dimension world) कहते हैं। इसीलिये हम इन तीन आयामों को बड़े अच्छे से तो जानते हैं, परंतु गणित की सहायता से हमने इसके पीछे के और आगे के आयामों का भी पता लगा लिया है। जैसे किसी चीज को मापने के लिये एक मापक इकाई होती है वैसे ही ब्रह्मांड में होने वाली सभी घटनाओं को हम आयामों में मापते हैं। 

 तो जहाँ तक विज्ञान और पुराणों ने आयामों के बारे में जाना है हम उसी के बारे में विस्तार से जानेंगे :-

  शून्य आयाम (Zero dimension)

 शून्य आयाम एक बिन्दु जैसा होता है। यह एक ऐसा आयाम है जिसमें हम न आगे-पीछे जा सकते हैं, न दायें-बाएँ और न ही ऊपर-नीचे ही आ जा सकते हैं। इस आयाम का व्यक्ति केवल एक जगह ही स्थित रह सकता है।

1. पहला आयाम (First dimension)

 इस आयाम का व्यक्ति आगे-पीछे तो जा सकता है पर दाएँ-बाएँ और ऊपर-नीचे नहीं आ जा सकता है। इस आयाम में व्यक्ति एक सीधी रेखा में केवल आगे जा सक्ता है या फिर सीधे पीछे ही जा सकता है।

2. दूसरा आयाम (Second dimension)

 इस आयाम में व्यक्ति आगे-पीछे जाने के साथ-साथ दाएँ-बाएँ मुड सकता है, परन्तु ऊपर-नीचे नहीं जा सकता है।



3. तीसरा आयाम - 3D world (Third dimension)

 इस आयाम में व्यक्ति आगे-पीछे, दाएँ-बाएँ और साथ ही ऊपर-नीचे भी आ जा सकता है। इस आयाम में हम मनुष्य रहते हैं। 

4. चौथा आयाम - Time (Fourth dimension)

चौथा आयाम समय को माना गया है। जैसे हम समय में आगे सिर्फ अपने भविष्य की ओर जा सकते हैं, पीछे की तरफ भूतकाल में नहीं जा सकते। इस आयाम में व्यक्ति समय में भविष्य के साथ-साथ भूतकाल में भी जा सकता है। यानि की वह time travel कर सकता है।

5. पाँचवा आयाम - ब्रह्माआयाम (Fifth dimension)

 इस आयाम में व्यक्ति समय में आगे यानि भविष्य और पीछे यानि भूतकाल के साथ-साथ दाएँ-बाएँ भी जा सकता है। मतलब की एक ही समय में व्यक्ति अपने आगे और पीछे की दुनियाँ के साथ-साथ अपने दायें और बाएँ की दुनियाँ में भी जा सकता है। अब दाएँ और बाएँ जाने का क्या अर्थ है? जैसे अगर हम एक ही समय में IAS officer और डाक्टर बनना चाहते हैं तो एक ही समय में यहाँ हम दोनों ही बन सकते हैं।  

 ब्रह्मा जी कौन से आयाम में रहते हैं ?, इस सवाल का जवाब इसी आयाम में निहित है। जी हाँ, हमारे ब्रह्मांड का ब्रह्मा जी इसी पाँचवे आयाम में रहते हैं।

 इस सृष्टि में अलग-अलग ब्रह्मांड हैं, और हर ब्रह्मांड के अपने एक ब्रह्मा हैं। या यूँ कहें, हर अलग-अलग ब्रह्मा के अपने अलग-अलग ब्रह्मांड हैं।

 Bigbang की घटना जिसको हम तीन आयामी दुनियाँ की उत्पत्ति का जरिया मानते हैं वो इसी पाँचवे आयाम के ब्रह्मा से उत्पन्न होता है। यहाँ से कई ब्रह्मांड उत्पन्न होते हैं और यहाँ का समय भी अलग है, क्योंकि यह हमारे चारों आयामों से बाहर है।

 


6. छठा आयाम - *विष्णुलोक (Sixth dimension)

 छठवाँ आयाम भी समय के बारे में है। इस आयाम में व्यक्ति भविष्य की ओर, भूतकाल की ओर, और अपने दाएँ-बाएँ की ओर देख सकता है। उसी के साथ-साथ समय में ऊपर और नीचे की ओर भी जा सकता है, अर्थात किसी भी दिशा में जा सकता है। वह एक ही समय में डाक्टर, इंजीनियर, कलाकार, वैज्ञानिक और सब कुछ बन सकता है। इन सभी दिशाओं से संसार का संचालन होता है।

 ऐसी संपूर्ण दक्षता जो किसी भी दिशाओं में जा कर कुछ भी कर सकता है, समय को अपने हिसाब से बदल सकता है.......वेद के अनुसार ऐसी दक्षता केवल भगवान विष्णु में ही निहित है. यह सवाल की भगवान् विष्णु कौन से आयाम में रहते हैं?, इस सवाल का जवाब यही छठा आयाम है इस आयाम को भगवान विष्णु का निवास स्थान बताया गया है। इसी आयाम में रहकर भगवान विष्णु जी इस समस्त संसार का संचालन करते हैं।

7. सातवाँ आयाम - *योगियोँ की दुनियाँ (Seventh dimension) 

 सातवें आयाम में विभिन्न ब्रह्मांडों की बात की गई है। जैसे मान लीजिये यहाँ पर हमारे विशाल ब्रह्मांड की तरह एक और विशाल ब्रह्मांड है, जहाँ हमारा एक और प्रति रूप होता है। वो समय में हमसे या तो आगे होगा या पीछे होगा।

 मान लीजिये कि हमें अपने ब्रह्मांड से दूसरे ब्रह्मांड तक जाने का कोई रास्ता मिल गया है तो इस आयाम में रहने वाला व्यक्ति एक सीधी रेखा से दूसरे ब्रह्मांड में जाकर अपने ब्रह्मांड में वापिस भी आ सकता है। मतलब यह की वह आगे या पीछे दोनों तरफ जा सकता है। परन्तु वह अपने दाएँ-बाएँ स्थित ब्रह्मांड में नहीं जा सकता है। इस सातवें आयाम को सत्य-आयाम भी कहते हैं।  जो योगी गहरी ध्यान साधना करते हैं वो इसी आयाम को महसूस करते हैं। 

 इसी आयाम में वो अनंतज्ञान है जिसे पाकर कोई मनुष्य देवताओं की श्रेणी में चला जाता है। इसी आयाम का ज्ञान पाने वाला महाज्ञानी होता है जिसके चक्षु चरमसीमा पर चले जाते हैं।

8. आठवाँ आयाम - *शिवलोक (Eighth dimension)

 आठवें आयाम में भी विभिन्न ब्रह्मांडों की बात की गई है। इस आयाम में व्यक्ति आगे-पीछे के साथ-साथ अपने दाएँ और बाएँ के ब्रह्मांड में भी जा सकता है। वह अपने किसी भी प्रतिरूप से मिल सकता है। आठवें आयाम को 'कैलाश' भी कहा जाता है। यह सवाल की भगवान् शिव कौन से आयाम में रहते हैं?,  इसका जवाब यही आठवाँ आयाम है. इस आयाम में भगवान शिव का भौतिक रुप - शंकर जी निवास करते हैं। उनका काम इन सातों आयामों का संतुलन बनाये रखना होता है। हर सिद्ध पुरुष सत्य आयाम का ज्ञान पाकर भगवान शिव को पाने की कोशिश करतें हैं, क्योंकि यह ही मोक्ष का रास्ता है।



9. नौवाँ आयाम - *वैकुण्ठ लोक (Ninth dimension)

नौवें आयाम में भी विभिन्न ब्रह्मांडों की बात की गई है। इस आयाम में व्यक्ति आगे-पीछे, दाएँ-बाएँ के साथ-साथ ऊपर और नीचे के ब्रह्मांडों में भी जा सकता है। मतलब की वह किसी भी ब्रह्मांड में आ-जा सकता है। यह सवाल की वैकुण्ठलोक कौन से आयाम में है ?, इस सवाल का जवाब इसी आयाम में है. इस आयाम को वैकुण्ठ भी कहते हैं। यहाँ पर महाविष्णु (नारायण) जी रहते हैं। इस आयाम में परमात्मा में समा जाना होता है। हर आयाम इसी से बना होता है, और यही विभिन्न आयामों का मुख्य स्त्रोत है। मोक्ष प्राप्ति कर हर आत्मा शून्य होकर इसी आयाम में परमात्मा में विलीन हो जाती है।

10. दसवाँ आयाम -*परमात्मा का धाम (Tenth dimension)

दसवें आयाम को ईश्वर (परमात्मा) का आयाम कहते हैं। इस आयाम में रहने वाला व्यक्ति कभी भी कहीं पर भी, किसी भी रुप में आ जा सकता है। इस पर किसी भी आयाम या ब्रह्मांड का कोई नियम लागू नहीं होता है। बल्कि उसके अपने खुद के नियमों के अनुसार वह जब चाहे जैसा चाहे कर पायेगा।

 इसमें बहुत-सी प्रजातियाँ (आत्माएँ) बिना एक दूसरे को महसूस किये एक साथ रह सकते हैं। इसको अनन्त आयाम भी कहते हैं। यहाँ पर परमात्मा निवास करते हैं।

 सनातन धर्म में इसे ही निराकार, अनन्त, परम और सदाशिव कहा गया है। महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण जी ने अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुये अपने इसी अनन्त स्वरुप के दर्शन करवाये थे। इन्हीं को ही सत्य-विष्णु कहा जाता है। त्रिदेव इन्हीं के ही अंश हैं।

 इस प्रकार शास्त्रों और विज्ञान के अनुसार और भी बहुत से अलग-अलग आयाम होते हैं। हमारे 64 Dimensions in vedas में पहले ही 64 आयामों की बात की गई है, मगर विज्ञान ने अभी तक अपनी स्ट्रिंग थियूरी के अनुसार केवल 11आयामों की ही बात की है। हम मनुष्य तीन आयामी दुनियाँ में रहने के कारण केवल इसी तीन आयामी दुनियाँ के बारे में बेहतर से जान पायें हैं, बाकि के आयामों के बारे में तो केवल हम मौटे-तौर से ही जान पाये हैं !

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