*सन 2024 तक Solar storm के पृथ्वी से टकराने की अधिक आशंका ! (Solar storm in hindi)

 
Solar storm in hindi

*सन 2024 तक Solar storm के पृथ्वी से टकराने की अधिक आशंका ! (Solar storm in hindi)

Solar storm का मतलब यह होता है कि जब सूर्य पर गैसों की टकराहट से बड़े-बड़े  विस्फोट होते हैं तो उनसे सौर ज्वालाएं निकलती हैं और ये पृथ्वी की तरफ रवाना होती हैं। इनकी निकलने की गति 30 लाख मील प्रति घंटे होती है।

 तूफान शब्द एक भयाभय शब्द है। इसका नाम सुनते ही हमारे मन में अस्त-व्यस्त और सब कुछ तबाह कर देने वाली हवा के साथ बारिश का  मंजर नजर आने लगता है, लेकिन सौर तूफान हवा और  समुद्री तूफानों से अलग होते हैं। समुद्री तूफान धरती पर जल के भीतर से हमला करते हैं, तो सौर-तूफान धरती के वातावरण के बाहर से।

Solar storm की भयंकर और विशाल ज्वालाएं पृथ्वी की ओर लपक के आतीं हैं !

 सौर तूफान का सीधा जुड़ाव सौर मंडल और सीधे सूर्य से है। असल में यह सूर्य पर उठने वाली विकराल ज्वालाओं का समूह है, जो सूर्य के भीतर गैसों के प्रभाव से होने वाले विस्फोट से पैदा होती हैं। ये विस्फोट कई परमाणु बमों के बराबर शक्तिशाली हो सकते हैं। जब सूर्य के भीतर  गैसों की टकराहट से विस्फोट होते हैं तो उनसे सौर ज्वालाएं निकलती हैं और ये पृथ्वी की ओर रवाना होती हैं। इनकी गति 30 लाख मील प्रति घंटे होती है।

पृथ्वी पर इसका यह असर होता है :-

  कोरोनल मास इजेक्शन (CME) में सौर ज्वालाओं से आवेशित कणों की विशाल धाराएं होती हैं। जब-कभी ये पृथ्वी से टकराती हैं तो, ये सूरज से 15 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित धरती पर विद्युत आवेशों और चुंबकीय क्षेत्रों की एक धारा भेजती हैं। इन सौर धाराओं का असर उपग्रहों के जरिए होने वाले संचार तंत्र, बिजली की ग्रिड और समुद्री व हवाई परिवहन पर पड़ता है। फरवरी 2011 में चीन में शक्तिशाली सौर ज्वालाओं के कारण पूरे देश में रेडियो संचार बाधित हो गया था।


सौर तूफ़ान हर ग्यारह वर्ष में आते हैं !

वैज्ञानिकों के अध्ययन और विश्लेषण के अनुसार हर 11 साल में तेज सौर तूफान आते हैं। इस दौरान रोज या हर सप्ताह सोलर ज्वालायें आ सकती हैं। 2024 में सर्वाधिक सौर तूफान आ सकते हैं। 

 लेकिन अब सोलर तूफान हर दूसरे-तीसरे वर्ष भी आ सकते हैं!

 वैज्ञानिकों के नवीनतम अध्ययन और विश्लेषण के अनुसार, 'जरूरी नहीं की सौर तूफ़ान हर ग्याहरवें वर्ष में ही अपनी विकरालता प्रकट करे, यह अपनी छदम विस्फोट की प्रक्रिया के तहत हर वर्ष भी विस्फोटित हो सकता है. वैज्ञानिकों के आंकलन के अनुसार 2023 ईस्वी के मध्य या अंत से एक भयंकर सौर-तूफ़ान के आने का अंदेशा है ! 

 दुनियाँ के कई हिस्सों में ब्लैकआउट का खतरा !

अंतरिक्ष जगत की मशहूर वैज्ञानिक डॉ. तमिता स्कोव ने एक ट्वीट कर बताया कि सूर्य की ज्वालाओं की पृथ्वी से सीधी टक्कर होने वाली है। 

 आर्यभट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान (एरीज) के वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि सूर्य अब अपने 11 साल के सौर चक्र के सक्रिय चरण में है। इससे सोलर ज्वालाओं की  घटनाओं में अधिकाधिक बढ़ोत्तरी होने वाली  है। सामान्यत: ये ज्वालायें  जीपीएस नेविगेशन सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण ब्लैकआउट का कारण बन सकते हैं। ये छोटे विमानों और जहाजों की यात्रा को बाधित कर सकते हैं। 

अतीत में आये बड़े सौर-तूफान !

 कनाडा के क्यूबेक शहर में 1989 में  सौर तूफ़ान आया था जब 12 घंटे के लिए बिजली गुल हो गई थी। इस दौरान लाखों लोगों को तकलीफों  का सामना करना पड़ा था। 

यूरोप और अमेरिका में टेलीग्राफ नेटवर्क को नष्ट कर देने वाले चर्चित और सबसे शक्तिशाली जिओमैग्नेटिक तूफान 1859 ईसवी को आया था। 

 पूर्वी और पश्चिमी अमेरिका भर में इतनी तेज रोशनी हुई थी कि रात के समय लोग आसमान की रोशनी में अखबार पढ़ने में सक्षम हो गए थे।

 पृथ्वी पर ब्लैकआउट खतरा मंडरा रहा है !

सूर्य के वायुमंडल में एक छेद से तीव्र-गति वाली सौर हवाएं  पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकरा वाली है.  ये तेजी से पृथ्वी की ओर बढ़ रही हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर ये सौर तूफान पृथ्वी से टकरातें हैं तो इससे पूरी दुनियाँ में ब्लैकआउट हो सकता है. 

ब्लैकआउट के अलावा इनका भी खतरा !

 वैज्ञानिकों के अनुसार, सौर तूफान के पृथ्वी से टकराने पर दुनियाँ में सिर्फ ब्लैकआउट होने का ही खतरा नहीं मंडरा रहा, बल्कि इस  तूफ़ान से और भी दूसरी तरह की  परेशानियाँ हो सकती हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक़, अगर ऐसा होता है तो दुनियाभर के रेडियो सिग्नल में मुश्किलें पड़ सकती हैं, जिससे रेडियो के संचालन में दिक्कत आ सकती हैं, मोबाइल सिग्नल भी ठप्प पड़ सकते हैं. जीपीएस पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है. इसी कारण विविध तकलीफों को  देखते हुए इस तूफान को लेकर ज्यादा चिंता व्यक्त की जा रही है. 

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