*क्या ईश्वर स्वर्ग में रहता है ? (Heaven in hindi)*

 

Heaven in hindi

क्या ईश्वर स्वर्ग में रहता है ? (Heaven in hindi)

*इस लेख का उद्देश्य किसी धर्मविशेष और धर्मविशेष के भगवान का महिमामंडन और प्रचार करना नहीं है बल्कि सत्य को उद्घाटित करना है !

  किन्हीं धर्मों की बातों और सिद्धांतों को एक दूसरे धर्म के साथ जोड़कर या परस्पर लिंक बिठाकर देखना कहाँ तक सही है यह तो नहीं पता, किन्तु कुछ तो है जो ये विभिन्न धर्म कहीं न कहीं एक दूसरे के साथ तालमेल बिठाते हैं, और यह साबित करते हैं कि प्राचीन घटनायें या बातें जो घटित हुई हैं उनका संबंध किसी भी धर्म विशेष के समुदाय से नहीं है बल्कि वह तो संपूर्ण मानवता का अतीत है, जो अलग-अलग तरीके से अलग-अलग धर्मों के द्वारा बयाँ किया जा रहा है ! तो आइये जानते हैं कि ईश्वर कौन है और कहाँ रहता है :-

  परमेश्वर अपने सृजनहार रूप में स्वर्ग में नहीं रहते थे !

ईश्वर के बारे में क्या कहता है हिन्दु धर्म ? जब से परमेश्वर ने यह सृष्टि बनाई, तब से और अब से 2000 वर्ष पहले तक सृजनहार परमेश्वर स्वर्ग में नहीं रहते थे। आरंभ में उन्होने सृष्टि बनाने के लिये अपने-आप को इस प्रकृति पर न्यौछावर कर दिया था। हाँ, परमेश्वर ने अपने ब्रहमा-रूप में प्रकृति के लिये स्वयं का बलिदान किया था। तभी से अब तक ब्रह्मा परमेश्वर (सृजनहार) इस प्रकृति में तेजोकण के रूप में प्रकृति के कण-कण में विराजमान है। यह ब्रह्म तेज ही है जिसके कारण यह प्रकृति जीवंत है, और इस प्रकृति का जो ओज है वह ब्रह्म-परमेशवर का ज्ञान रूप (सरस्वती रूप) है।

 सृजनहार परमेश्वर ब्रह्मचारी है !

 ब्रह्मा अथवा ब्रह्म पूर्णतः ब्रह्मचारी स्वभाव का है। किन्तु उसका ओज जो ज्ञान स्वरूप है वह उसकी पत्नी कहलाई जाती है जो उसी से उत्पन्न है।

 हमारे सनातन धर्म में ब्रह्मा का रूप और रंग और वस्त्र श्वेत क्यों है ?

 तो उसका उत्तर यह है कि श्वेत रंग और वस्त्र शुद्धता, पवित्रता, शान्ति और अहिंसा का चिन्ह होता है। इसलिये ब्रह्मा का रूप और रंग व परिधान श्वेत ही था। उनके श्वेत दाढी-मूछ और बाल भी थे। 


 अब अगर हम इतिहास में देखें तो पायेंगे कि ब्रह्मा का ऐसा ही रूप और वर्ण आज से 2000 वर्ष पहले इजराईल देश के येशुआ मसीह के रूप में पाते हैं। 

 वह भी श्वेत वर्ण, श्वेत दाढ़ी-मूछ और श्वेत परिधान पहननते थे। वह स्वय्ं को कहते थे कि, 'मैं पिता में हूँ और पिता मुझमें है।'

 सनातन धर्म में भी हम देखते हैं कि नारायण (महाविष्णु) की नाभी से स्ंयुक्त ब्रह्मा नारायण में है और नारायण ब्रह्मा में है। दोनों एक दूसरे से जुड़े हुये हैं, एक दूसरे से अलग नहीं है और दोनों इस तरह एक दूसरे से जुड़कर और तालमेल बिठाकर इस दुनियां को बनाते और उसका विस्तार करते हैं।

 बाइबिल के नये अहदनामे के यूहन्ना रचित सुसमाचार में लिखा है कि, 'उसमें मनुष्यों की ज्योति थी और सारे मनुष्य उसी में से उत्त्पन्न हुये हैं।'

 सनातान धर्म में भी ब्रह्मा को ही समस्त मनुष्यों का परमपिता कहा गया है, क्योंकि उन्हें मूल ईश्वर के द्वारा मनुष्यों की आत्माएँ दी गईं थीं।

 सनातन धर्म एक Philosophy नहीं, बल्कि एक तत्व ज्ञान है !

  हम विभिन्न पुराणों को पढ़कर भ्रमित हो जाते हैं और सोचने लगते हैं कि ये सब मनगढ़ंत काल्पनिक कहानियाँ हैं, या फिर मनगढ़ंत देवताओं के मनगढ़ंत झूठे किस्से!

 जी नहीं, सनातन धर्म में जितने भी पुराण लिखे गये हैं वे वेदों की बातों को सरल ढ़ंग से बताने के लिये उनका अलग-अलग ढँग से नाटकीय रुपांतरण किया गया है।

 बाई में फिलोसोफीया (Philosophy) की मनाही की गई है, उनका अनुसरण करना वर्जित माना गया है। लेकिन यहाँ यह बात स्पष्ट है कि वेद कोई Philosophy नहीं है बल्कि प्राचीन ग्रीक शब्द Philosophia का अनुवाद बाईबल में गलती से 'तत्वज्ञान' कर दिया गया है, जो कि उचित नहीं है!

 जबकि तत्वज्ञान का अर्थ है, 'किसी भी विषय का सरल, गहन, सविस्तार और सत्य प्रकट करना।'

 ध्यान रहे उपरोक्त तत्वज्ञान के अर्थ में सत्य को प्रकट करना है न कि सत्य की पढ़ताल करना !

 'फिलोसोफीया' सत्य की पढ़ताल करता है जबकि 'तत्वज्ञान' सत्य को प्रकट करता है !

पढ़ताल करने में गलती हो सकती है, परन्तु प्रकट करने में कोई गलती नहीं होती, क्योंकि प्रकट वही किया जा सकता है जो पूर्व व्यवस्थित है !

 जो ब्रह्मा आज से 2000 वर्ष पहले तक बिना शरीर के आत्मा रूप में इस सृष्टि में विद्यमान था वह 2000 वर्ष पहले सशरीर मानव रूप (यीशुमसीह के रूप में) अवतरित हुआ।

  वेदों के अनुसार यीशु का मसीह रूप में बलिदान हुआ! (Heaven in hindi)

 2000 वर्ष पहले जब ब्रह्मा यीशु रूप में सशरीर प्रकट हुये तो उनका पुनः बलिदान हुआ - मानवता के पापों का वहन करने और अनंतजीवन को सर्वसुलभ बनाने के लिए !

 यह बलिदान मूल-परमेश्वर का मानवता के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करता है। सत्य के लिये बलिदान हुये ब्रह्मा ने (यीशु मसीह ने) मृत्यु को जीत लिया और फिर से अपने बलिदान हुये शरीर को प्राप्त किया और आज वह स्वर्ग में विराजमान है, और शीघ्र पुन: लौटने वाला है !!!!

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