*भगवान शिवजी और आदम में समानता ! (Shivji in hindi)*

  

Shivji in hindi

भगवान शिवजी और आदम में समानता! (Shivji in hindi)

 भगवान Shivji के संदर्भ में भारतीय सनातन धर्म के अनुसार, इस सृष्टि का मूल परमपिता परमात्मा सदाशिव जी हैं, जिन्हें किसी के द्वारा न देखे जाने के कारण उन्हे निराकार मान लिया गया है। उन्हीं सदाशिव के द्वारा माँ दुर्गा (आदि शक्ति) के सहयोग से सर्वप्रथम विष्णु-ब्रह्मा और शिवजी  की रचना की गई। उपरोक्त ये तीनों देव इस सृष्टि के केंद्र में सूक्ष्मलोक में रहते हैं और वहीं से समस्त दुनियाँ की रचना, पालन और परिवर्तन करते रहते हैं। 

 हम सभी जानते हैं कि अतीत में भगवान शंकर जी (जिन्हें अब बोलचाल की भाषा में शिव मान लिया गया है, जबकि वह केवल शिव स्वरूप ही हैं।) इस पृथ्वीलोक में वास करते थे। वह मनुष्य की भान्ति मनुष्यों के साथ रहते थे। 

 शैवमत वालों के अनुसार, इस पृथ्वी लोक में आदि-योगी भगवान शंकर का ज्ञात काल लगभग 15 से 16 हजार वर्ष पहले का है।

 इसी रीति यहूदियों अथवा इसाईयों की बाईबल के अनुसार भी बाबा आदम का काल लगभग 15 हजार वर्ष पूर्व का ही है।

 पुरातात्विक अध्ययनों के अनुसार भी वैज्ञानिकों ने प्रथम बौद्धिक मनुष्य को लगभग 15 से 16 हजार वर्ष पूर्व ही पाया, जिसका लोकेशन पश्चिम ऐशिया के मेसोपोटामियाई सभ्यता (ईराक) के अतिप्राचीन काल में पाया गया, जहां से ही समस्त सभ्यताओं की शुरुवात मानी गई है। 

 

भगवान शिवजी इस ग्रह में कैसे आये ?

 इस विषय में अलग-अलग मान्यतायें हैं। ग्रंथों में किन्हीं जगहों में यह जिक्र है कि वह अपने सूक्ष्मलोक के सिंहासन को छोड़, हार-श्रिंगार रहित होकर, निर्ववस्त्र होकर इस धरती पर किसी उल्कापिंड की भान्ति गिर पड़े थे, और फिर उठ कर इस पृथ्वी पर दर-बदर भटकते रहे। अंत में उन्होंने अपना आशियाना कैलाश-पर्वत पर बनाया।

 तो ग्रंथों और लोकगाथाओं में किन्हीं जगहों में यह भी जिक्र है कि वह धूलू-स्वामी हैं अर्थात वह इस धरती की मिट्टी में से प्रकट हुये अथवा उत्त्पन्न हुये हैं और जिसका कोई माँ-बाप नहीं है।

 भगवान् शंकर के संदर्भ में लगभग 29 से 30 तथ्य ऐसे हैं जो सनातन ग्रंथों, बाईबल और पुरातत्व-विज्ञान के समकक्ष हैं, जिनसे लगभग इस बात की पुष्टि तो होती ही है कि भगवान शिवजी और बाबा आदम में समानता है। 

 यहाँ यह सिद्ध करने की कोशिश नहीं की गई है कि भगवान शंकर ही बाबा आदम हैं बल्कि एक ऐसे Interesting-facts को उजागर करने की कोशिश की गई है - 'कि कुछ तो जरुर है जो इनमें इतनी समानताएँ दिखती हैं !'

bhagwan shiva koun hai ? - सिंधु घाटी की सभ्यता में से प्रमाण 

 जब आर्य भारत नहीं आये थे, ब्रह्मवर्त से पूर्व डिल्बन (सिंधु सभ्यता) सभ्यता की धार्मिक मान्यता ही आगे चलकर आर्यों की धार्मिक मान्यता बन गई। 1922 से लेकर आजतक हमें इसी डील्बन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुये हैं। खुदाई में मिली मोहरों पर पशुपतिनाथ, त्रिमुखी-योगी और साथ ही देवी माँ के चित्र भी मिले हैं। यह सभी संकेत हमें बाद के आर्यनों के धर्म के शिव-शक्ति से मिलते-जुलते प्रतीत होते हैं। चूँकि इस सभ्यता में विभिन्न प्रजाति के लोग भी रहते थे। अतः उनकी अर्चनाओं में द्रविड़जाति की अर्चना बाईबल में उत्त्पति की किताब 2:4-25 तथा 3:1-21  के वृतांत से संबद्ध है। 

 बाईबल के अनुसार धीरे-धीरे मनुष्यों ने अपनी-अपनी कल्पनाओं और मान्यताओं के ईश्वरों को मानना प्रारंभ किया। स्वाभाविक है कि उन समाजों में कुछ कबीलों ने प्रथम मानव और मानवी की उपासना शुरु कर दी हो, जो समय चलते भारतीय द्रविड़ कहलाए ! 

 आरंभ में ऐसा नहीं था जैसा कि हम आज सोचते हैं। उस समय सिंधु क्षेत्र में न तो विष्णु की पूजा ही होती थी और न ही ब्रह्मा की। वहाँ केवल शिव और शक्ति के बारे में ही लोग जानते थे। और वे उन्हें किस दृष्टिकोण से पूजते और भजते थे यह रहस्य इतिहास और अतीत के गहरे सागर में अब दफ़न है। इसलिये अब हम केवल आँकलन ही लगा सकते हैं।

Shivji in hindi

  shiva shankar bholenath koun the ?

 अत: कुछ बिंदु ऐसे हैं जिनसे भगवान शिवशंकर और आदम की समानता झलकती है. इस संदर्भ में पाठक स्वयं बाईबल में से उत्त्पत्ति की पुस्तक का अध्ययन करें :-

 1. शिव - ई+शव। अर्थात आत्मा और शव (शरीर) के मिलन से पहला मनुष्य बना।

 2. स्वयंभू - जो स्वयं प्रकट हुआ। भू का अर्थ प्रकट होना और भूमि भी होता है। दूसरे अर्थ में जो स्वयं भूमि से प्रकट हुआ।

 3. धूलूस्वामी - जो धूल अर्थात भूमि की मिट्टी का स्वामी है।

 4. पँचमुखी - पाँच तत्वों से बना अर्थात इस ग्रह का भगवान।

 5. त्रिमुखी - भूत, वर्तमान व भविष्य को जानने की इच्छा रखने वाला।

 6. अजन्मा - जिसका किसी जीव के गर्भ से जन्म नहीं हुआ।

 7. शंकर - *अच्छा है (Good being), संदर्भ बाईबल से - परेश्वर ने आदम को अच्छा है करके बनाया। 

 8. आदिदेव - धरती पर पहला ईश्वरीय-पुत्र।

 9. भोलेनाथ- भोला-भाला होने के कारण ही शैतान के द्वारा आदम को बहकाया गया और वह पाप में जा गिरा।

 10. साधु वेश-भूषा- अदु ने (आदम ने), मूल इब्रानी बाईबल में अदु को 'ईश' शब्द प्रयोग किया गया है, और हब्बा को 'ईशा', अर्थात इस धरती पर के पहले आदि ईश्वर और ईश्वरा। ईश ने (आदम) पाप में गिरने के बाद पहले-पहल तन ढ़कने के लिये अंजीर के पत्तों की लंगोट बनाई, तत्पश्चात सिंह के चर्म को धारण किया।

 11. अर्धनारिश्वर - परमेश्वर ने आदम (ईश) की बाईं पसली से नारी (ईशा) की सृजना की, अर्थात या-देवी, आदिमाता।

 12. शिव सर्प - जब आदम ने हब्बा के कहने पर, दुष्ट सर्प के भड़काने पर भले-बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खाया तो प्रतीक स्वरूप शंकर ने (आदम ने) पाप को गले लगाया अर्थात सर्प। सर्प विष का प्रतीक है और विष पाप और दुखों का प्रतीक।

 13. शिवजी के मस्तिष्क में चंद्रमा व तारा - परमेश्वर आदम को अथवा मनुष्य को अंतरिक्ष तक का ज्ञान दिया है।

 14. पशुपति-नाथ - जब आदम अकेला था तो उसके अकेलेपन को भरने के लिये परमेश्वर ने समस्त रचे गये पशु-पक्षीयों को उसकी संगति में ले आया और फिर उसे उनका स्वामी (नाथ) ठहराया।

 15. शिवलिंग और योनि - शिवलिंग और योनि की उपासना के पीछे का भाव यह है कि यह प्रजनन का मूल है। सृष्टि उत्त्पत्ति और विकास का प्रतीक। 

 16. शिवबाबा व या-देवी - माँ (आदि माता) और आदि पिता।

 17. त्रिनेत्रि- जब आदम को होश आया कि उसने परमेश्वर के विरुद्ध काम किया है तो उसकी पश्चाताप की आन्तरिक आंखें खुल गईं।

 18. योगेश्वर - ज्ञान की आंखें खुलते ही उसने पश्चाताप किया और एक क्षण भी आदम परमेश्वर के स्मरण (ध्यान) के बगैर न रहा। 

 19. प्रलयंकारी - प्रलय के लिये आदम ही कारण ठहरा।

 20. त्रिशूल - आदम को (शंकर) अपना वास्तविक स्वरूप का ज्ञान होते ही वह इस सृष्टि के तीनों गुणों से - सत, रज, तम से निवृत्त हो गया। प्रकृति के ये तीन गुण मनुष्य को शूल की भान्ति पीड़ा देते हैं।

 21. आशुतोष - शीघ्र प्रसन्न होने वाला।

 22. शिवगंगा - आत्मिक ज्ञान से बपतिस्मा लिया हुआ।

 23. भूतनाथ - परमेश्वर ने समस्त भूतप्राणियों का (इस पृथ्वी के अन्य प्राणियों का) ईश्वर आदम को अर्थात को ठहराया। उनका विकास अथवा पतन आदम की वृत्ति (मनुष्यों की)पर निर्भर  करती है।

 24. ज्ञानेश्वर - चिकित्सा, शल्य, औषधि, तंत्र-मंत्र-यंत्र तथा विज्ञान व कलाओं का ज्ञाता। आज्ञा उलंघन के बाद।

 25. महेश्वर - धरती अथवा इस ब्रह्माण्ड के ईश्वरों का भी ईश्वर।

 26. हर-हर महादेव - आदम के कारण ही मृत्यु आई। आदम ही मृत्यु को इस संसार में लाया। इस नाते वह मृत्यु का देवता ठहरा।

 27. मृत्युन्जय - आदम ने आत्मिक मृत्यु को जीत लिया।

 28. अजर- अमर - यह शिव अजर-अमर था किन्तु अब न्याय के आधीन है। और यदि आदमी चाहे यही स्थिति पुन: प्राप्त कर सकता है।

 29. रूद्र - अर्थात रूलाने वाला। संपूर्ण मानवजाति के रोने का कारण केवल यही पहला रूद्र है जो स्वयं पाप के जाल में फंस कर नतीजेतन सभी को उसी ने रूलाया है। 

 अन्य भी नाना प्रकार के भाव हैं जिन्हें सिंधु (डिल्बन सभ्यता) ने प्रतीक स्वरूप प्रथम आदम को अर्थात शिवजी  को (मनुष्य को अथवा पहले मानव को) व्यक्त किया। यह अभिव्यक्ति सृष्टिके आरंभ की जानकारी देने में समर्थ है। 

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