*क्या वाकई गुड़ खाने के फायदे होते हैं ?*

 


 क्या वाकई गुड़ खाने के फायदे होते हैं ?

 गुड एक ऐसा पदार्थ है जो हमारे देश में प्राचीनकाल से ही प्रयोग होता आ रहा है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में गुड को पुष्टिकारक व औषधीय गुणों से भरपूर बताया गया है। 

 आयुर्वेद में नये व पुराने, दो प्रकार के गुडों का वर्णन मिलता है। नये गुड की अपेक्षा पुराना गुड अधिक लाभकारी व हितकर होता है।

 नया गुड कफ, श्वास, खांसी, कृमि आदि को बढ़ाने वाला होता है। अत: इसका सेवन अधिक नहीं करना चाहिये। नया गुड 25 से 50 ग्राम खाने के बाद लेने पर अग्निवर्धक होता है। यदि नये गुड में सोंठ, अदरक और हरड़ आदि मिला लिया जाये तो इसके हानिकारक प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। गुड के साथ सोंठ लेने पर, वात रोगों का शमन होता है, हरड़ को मिलाने पर पित्त रोगों में तथा अदरक को गुड में मिलाने पर कफ रोगों में लाभ मिलता है।

 पुराना गुड हल्का, अग्निवर्धक, वृष्य, मधुर, अनभिष्यन्दि, रुचिकर, रक्त को साफ करने वाला, प्रमेह को नष्ट करने वाला, ह्रदय के लिये परम हितकारी व थकावट को समाप्त करने वाला होता है। यह क्षय, क्षत, खांसी, क्षीणता, पाण्डुरोग और रक्त की कमी में एक श्रेष्ठ पथ्य है।

Contents :-

 *दंत रोगों में गुड के औषधीय गुण  

 *पीलिया रोग में गुड के औषधीय गुण

 *पित्ती में गुड के औषधीय गुण

 *मलेरिया में गुड के औषधीय गुण

 * खांसी में गुड के औषधीय गुण

 * मूत्र-विकार में गुड के औषधीय गुण

 *उदर रोग में गुड के औषधीय गुण

 * प्रसव-वेदना में गुड के औषधीय गुण

 *उल्टी में गुड खाने के औषधीय गुण ।

 

दंत रोगों में गुड के औषधीय गुण !

 गुड की एक विशेष बात यह है कि दाँतों को हानि नहीं पहुंचाता, जबकि चीनी दाँतों  में क्षय उत्पन्न कर देती है। दाँतों का क्षय या क्षरण दुनियाँ की एक प्रमुख समस्या है। वास्तव में चीनी बनाते समय उसमें अवशेष के रूप में रह जाने वाले रासायनिक पदार्थ दाँतों के ऊपर बनी रक्षात्मक पर्त को नष्ट कर देते हैं, जबकि गुड ऐसा नहीं करता, उल्टे यह दाँतों को पुष्टि प्रदान करता है। इतना अवश्य है कि गुड को खाने के बाद दाँतों को भली भान्ति साफ कर लेना चाहिये। दाँतों पर लम्बे समय तक लगे रहने पर यह हानि पहुंचाता है। गुड शरीर की स्नायविक शक्ती को बनाये रखने में सक्षम होता है तथा यौवन क्षमता को बढ़ाता है। 

 पीलिया रोग में गुड के औषधीय गुण !

 पीलिया रोग में बासी मुँह 50 ग्राम गुड के साथ थोड़े से मूली के पत्ते खाने से अत्यंत लाभ होता है। इसके अलावा हरड़ का चूर्ण 30 ग्राम, निशोथ 30 ग्राम, इंद्रायण चूर्ण 30 ग्राम और गुड 100 ग्राम मिलाकर रख लें। इसे 2-3 ग्राम चम्मच की मात्रा में नित्य प्रात: दोपहर व सायं लेना लाभकारी होता है।



 पित्ती में गुड के औषधीय गुण !

यदि किसी को पित्ती उछल आयी हो तो गुड के साथ जीरा मिलाकर देने से लाभ होता है।

 मलेरिया में गुड के औषधीय गुण !

 गुड व काले जीरे का चूर्ण मलेरिया को दूर करता है। मलेरिया में यह योग जाड़ा आने से पूर्व 2-2 घंटे के अंतर पर देना अधिक लाभकारी होता है।

 खांसी में गुड़ के औषधीय गुण !

 सभी प्रकार की खांसी में 50 ग्राम गुड में 25 ग्राम अनारदाना, 7.5 ग्राम काली मिर्च, 4 ग्राम पीपल, 4 ग्राम जवाखार मिलाकर चूर्ण बना लें। इसमें से एक-एक चम्मच प्रात:-सायं गर्म जल के साथ लेने पर पूरा लाभ मिलता है।

मूत्र-विकार में गुड के औषधीय गुण !

 गुड में समभाग जवाखार मिलाकर लेने पर मूत्र का रुक-रुक कर आना ठीक हो जाता है। इससे मूत्राशय की पत्थरी भी निकल जाती है।

 उदर रोग में गुड के औषधीय गुण !

 200 ग्राम गुड, 100 ग्राम हरड़ चूर्ण, 35 ग्राम सौंठ, 35 ग्राम काली मिर्च, 40 ग्राम पीपल, 30 ग्राम दालचीनी, 30 ग्राम तेजपत्ता लेकर भलीभांति कूट लें और 25-25 ग्राम के लड्डू बना लें। एक-एक लड्डू प्रात: सायं गर्म जल के साथ लेने पर गैस का बनना, पेट की गुडगड़ाहट, संग्रहणी, बवासीर आदि ठीक हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त यह नुस्खा खांसी, हाथ-पैरों की सूजन में भी लाभकारी है।

 प्रसव-वेदना में गुड के औषधीय गुण !

 प्रसव की पीड़ा में मेथी व गुड का काढा बनाकर देने से तुरंत लाभ मिलता है।

 उल्टी में गुड के औषधीय गुण !

 उल्टी और पित्ताशय की खराबी में 5-10 ग्राम गुड में 5-10 ग्राम हरड़ का चूर्ण मिलाकर लेने पर लाभ होता है।

 जाड़े के दिनों में गुड व तिल का मिश्रण भली प्रकार चबाकर खाने से स्वास्थ्य बनता है तथा इससे बच्चों या बड़ों का रात्रि के समय बिस्तर में मूत्र करना भी रुक जाता है।  

 गुड मनुष्य के लिये ही नहीं पशुओं के लिये भी लाभकारी है। यह दुधारु पशुओं को मेथी के साथ देने पर दूध की मात्रा बढ़ाता है। श्रम करने वाले पशुओं, यथा - बैल, ऊँट आदि को शक्ती व स्फूर्ति प्रदान करता है, इससे  कार्यक्षमता बढ़ जाती है।

 गुड का प्रयोग अनेक रोगों में आयुर्वेदिक योगों के साथ अनुपान के रूप में होता है। इसे अनुपान के रूप में शहद के विकल्प के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।

 *गुड के औषधीय गुणों से प्रभावित होकर ही महात्मा गाँधी इसे बहुत पसंद करते थे। उनके खाद्य-पदार्थों में इसका विशेष स्थान था। गुड की महानता को देख कर ही मुगल बादशाह उपहार स्वरूप इंग्लेंड के सम्राट को गुड भिजवाया करते थे। इसलिये 25-50 ग्राम गुड प्रतिदिन खाना खाने के बाद प्रात:-सायं अवश्य खाना चाहिये।

 *यह जानकारी इंटरनेट तथा अंयंत्र स्त्रोतों से प्राप्त की गई है। इसलिये इसके नकारात्मक प्रभावों की जिम्मेवारी लेखक की नहीं है !*

 

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