क्या चीन से ही कोरिया पैदा हुआ ? History of korea in hindi
इस लेख में हम प्राचीन इतिहास में भारत के भाई चीन की चर्चा करेंगे, और साथ-ही-साथ हम कोरिया और जापान पर भी नजर डालेंगे। चीन में और पूर्वी एशिया के जापान, कोरिया, स्याम, म्य्ंमार, वगैरा देशों में हमें आर्य-जाति का जिक्र नहीं करना पड़ेगा। यहाँ तो उसके बजाय मंगोली नसलों का ही जिक्र करना पड़ेगा।
शुरुआती चीनी सभ्यता
पाँच हजार या कुछ ज्यादा वर्ष गुजरे होंगे जब पश्चिम से चीन पर एक हमला हुआ था। हमला करनेवाली ये जातियाँ भी मध्यएशिया से आई थीं और अपनी सभ्यता में ये अच्छी-खासी आगे बढ़ी हुई थीं। ये लोग खेती करना जानते थे और भेड़-बकरियों के बड़े-बड़े रेवड़ और मवेशियों के बड़े-बड़े झुंड पाला करते थे। ये लोग अच्छे-अच्छे मकान बनाना जानते थे और इनका समाज खूब विकसित था। ये लोग होवान्ग-हू नदी के पास, जिसे पीली नदी भी कहते हैं, बस गये और यहाँ इन्होने अपने राज्य का संगठन किया। सैंकड़ों वर्षों तक ये सारे चीन में फैलते रहे और अपने कला-कौशल और कारीगरी की उन्नति करते रहे।
चीनी लोग ज्यादातर किसान थे और उनके सरदार असल में एक तरह के कुलपति थे। छ: या सात सौ वर्ष बाद, यानी अब से चार हजार से भी अधिक वर्ष पहले, याओ नामक एक व्यक्ति हुआ, जिसने अपने को सम्राट कहना शुरु किया। लेकिन उस उपाधि के बावजूद उसकी स्थिति अधिकतर कुलपति की-सी ही थी, मिश्र या ईराक के सम्राटों की-सी नहीं। चीनी लोग किसानों की तरह ही रहते थे, और वहाँ कोई खास केंद्रीय सरकार नहीं बन पाई।
चीन का हिस्या राजवंश
पहले-पहल विश्व की अन्य सभ्यताओं में भी लोग अपने कुलपति चुना करते थे और आगे चलकर किस तरह यह पद मौरूसी अधिकार बन गया। चीन के शुरुआती इतिहास में हम इसकी शुरुवात होते देखते हैं। याओ का उत्तराधिकारी उसका पुत्र नहीं हुआ, बल्कि उसने एक दूसरे व्यक्ती को नामजद कर दिया, जो उस समय देश में सबसे ज्यादा योग्य समझा जाता था।
लेकिन जल्द ही यह पद मौरूसी हो गया, और कहा जाता है कि चार सौ वर्ष से ज्यादा तक हिस्या नामक राजवंश ने चीन पर हुकूमत की। हिस्या वंश का आखिरी राजा बहुत जालिम था। नतीजा यह हुआ कि एक क्रान्ति हूई, जिसने उसे उखाड़ फेंका। इसके बाद शैंग् या चिंग नामक दूसरे राजवंश के हाथों में सत्ता आई और यह करीब 650 वर्षों तक चली।
शुरुआती चीनी संस्कृति
चीन का इतिहास, उसकी प्राचीन संस्कृति की लंबी परंपरा और उसके एक-एक राजवंश, जो पाँच-सौ से लेकर आठ-आठ सौ वर्ष तक राज करते रहे, कितनी अद्भुत चीजें हैं !
इन 11 सौ वर्षों में चीन की धीमी उन्नति और विकास पर जरा गौर तो करो ! धीरे-धीरे कुलपति की प्रथा टूटती गई और उसकी जगह केंद्रीय सरकार स्थापित हो गई और एक सुसंगठित राज्य सामने आ गया। उस पुराने जमाने में भी चीन के लोग लिखने की कला जानते थे। लेकिन चीनी-लिपि हमारी नागरी या अंग्रेजी या फ्रांसिसी लिपि से बिल्कुल भिन्न है। इस लिपि में अक्षर नहीं हैं। यह संकटों या चित्रों द्वारा लिखी जाती है।
शैँग राजवंश को, 640 वर्ष शासन करने के बाद, एक क्रान्ति ने उखाड़ फेंका और चाऊ नामक एक नये राजवंश का अधिकार हुआ। इसने शैंगों से ज्यादा 837 वर्ष तक राज किया। चाऊ-वंश के जमाने में ही चीन का राज्य अच्छी तरह से संगठित हुआ, और इसी जमाने में चीन में दो महान दार्शनिक कन्फ्यूशस और लाओ-तसे पैदा हुये।
कोरिया की उत्पत्ति *Origin of korea in hindi
जब शैंग राजवंश निकाल फैंका गया, इसके कि-त्से नामक एक उच्च अधिकारी ने चाऊ लोगों की नौकरी करने की बनिस्बत देश छोड़ कर चले जाना अच्छा समझा। इसलिये वह अपने पाँच हजार अनुयायियों को साथ लेकर चीन से बाहर कोरियाच्को कूच कर गया। उसने इस देश का नाम 'चोसन' यानी 'सुबह की शान्ति का देश' रक्खा। कोरिया या चोसन चीन के पूर्व में है, इसलिये कि-त्से पूर्व दिशा में उगते हुये सूर्य की ओर गया। शायद उसने यह समझा हो कि पूर्व दिशा के अन्तिम छोरवाले देश में पहुँच गया है और इसीलिये उसने इसे यह नाम दिया।
ईसा के 11 सौ वर्ष पहले से कोरिया का इतिहास शुरु होता है। कि-त्से के साथ ही इस नये देश में चीनी कला-कौशल, मकान बनाने की कला, कृषि और रेशम की कारीगरी आई। कि-त्से के पीछे-पीछे और भी बहुत-से चीनी प्रवासी यहाँ आ गये। कि-त्से के वंशजों ने चोसन अथवा कोरिया पर नौ-सौ से ज्यादा वर्षों तक राज किया।
जापान पर सरसरी नजर
लेकिन चोसन पूर्व दिशा का आखिरी देश नहीं था। उसके पूर्व में, जैसा कि हम जानते हैं, जापान है। लेकिन हमें इस बात का कोई पता नहीं कि जब कि-त्से चोसन गया था तो जापान में क्या हो रहा था।
जापान का इतिहास इतना पुराना नहीं है जितना चीन का या कोरिया यानी चोसन का। जापानी लोगों का कहना है कि उनके पहले सम्राट का नाम जिम्मूतिन्नू था और उसने ईसा से छ:-सात सौ वर्ष पहले राज किया। इन लोगों का यह विश्वास है कि वह सूर्यदेवी से उत्पन्न हुआ था, क्योंकि सूर्य जापान में देवी माना जाता था। जापान के मौजूदा सम्राट जिम्मूतिंन्नू के असली वंशज माने जाते हैं। इसीलिये बहुत-से जापानी इन्हें भी सूर्यवंशी मानते हैं।
हमारे देश में राजपूत लोग भी इसी तरह से सूर्य और चंद्र से अपना नाता जोड़ते हैं। उनके सूर्यवंशी और चंद्रवंशी दो मुख्य राजघराने प्रसिद्ध हैं।
Really,a good information !
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