*माया सभ्यता का इतिहास ! Maya civilization in hindi

 माया सभ्यता का इतिहास ! Maya civilization in hindi

  शुरु के जमाने के लोग यह सोचा करते थे कि दुनियां केवल यूरोप, अफ्रीका और ऐशिया तक ही है। उनकी कल्पना और जुबान में अमेरिका का नाम तक नहीं था। तो एक समय आया जब स्पेन के कोलोम्बस नाम के व्यक्ति ने अमेरिका की खोज की। पर इसका मतलब यह नहीं था कि उससे पहले अमेरिका सिर्फ एक वहशी मुल्क था, या फिर वे एक असभ्य लोग थे।

 पाषाण युग के माया लोग !

  पाषाण युग के बहुत पुराने जमाने में, जब मनुष्य कहीं जमकर नहीं रहता था और घूमने-फिरनेवाला शिकारी था, तब उत्तरी अमेरिका और एशिया के बीच मे खुश्की का रास्ता था। आदमियों के कितने ही गिरोह और कबीले अलास्का होकर एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में आते-जाते रहते थे। बाद में आने-जाने का यह रास्ता कट गया और अमेरिका के लोगों ने धीरे-धीरे अपनी नीजि सभ्यता बना ली। जहाँ तक पता चला है, अमेरिका के लोगों को एशिया और यूरोप से जोड़नेवाला कोई साधन नहीं था। सोलहवीं सदी तक, जब कि नई दुनियां की खोज की गई बतलाई जाती है, ऐसा कोई बयान नहीं पाया जाता कि यूरोप और ऐशिया का इस देश से कोई असर डालने वाला संपर्क रहा हो। अमेरिका की यह दुनियां दूर और अलग थी- और इस पर यूरोप और ऐशिया की घटनाओं का कोई असर नहीं पड़ता था।                 

 माया लोगों की सभ्यता का इतिहास !

  अमेरिका में सभ्यता के तीन केंद्र थे: मैक्सिको, मध्य अमेरिका और पेरू। यह ठीक से मालूम नहीं है कि ये सभ्यताएं कबसे शुरु हुईं। लेकिन मैक्सिको का पंचान्ग ईसवी सन के करीब 613 साल पहले शुरु होता है। ईसवी सन के शुरु के वर्षों में, दूसरी सदी के आगे, बहुत-से शहर बढ़ चुके थे। पत्थर का काम, मिट्टी के बरतनों का काम, बुनाई और बहुत सुन्दर रंगाई के काम होते थे। तांबा और सोना बहुतायत से मिलते थे; लेकिन लोहा नहीं था। इमारते बनाने की कला की तरक्की हो रही थी और मकानों के बनाने में इन शहरों की आपसी होड़ चलती थी। एक खास तरह की और बहुत पेचीदा लिपि लिखी जाती थी। कला, खासकर मूर्तिकला, बहुत देखने में आती थी और वह काफी सुन्दर थी।

  सभ्यता के इन क्षेत्रों में से हरेक में कई राज्य थे। कई भाषायें थीं और इन भाषाओं में काफी साहित्य भी था। सुसंगठित और मजबूत सरकारं थीं और शहरों में सुसंस्कृत और दिमागी समाज था। इन राज्यों का कानून और अर्थ-व्यवस्था बहुत विकसित थे। 960 ईसवी के लगभग उक्षमल नगर की नींव डाली गई। कहा जाता है कि यह शहर बहुत जल्दी बढ़कर उस समय के ऐशिया के बड़े शहरों की टक्कर का हो गया। इसके अलावा लाबुआ, मयपान, चाओ-मुल्तुन, वगैरा और भी बड़े-बड़े नगर थे।

  मध्य अमेरिका के तीन मुख्य राज्यों ने मिलकर एक संघ बनाया था, जिसे अब मयपान-संघ कहते हैं। यह ईसा के बाद ठीक एक हजार वर्ष के आसपास की बात है, यानी उस जमाने की जहाँ तक हम ऐशिया और यूरोप में आ पहुंचे हैं। यानी ईसा के एक हजार वर्ष बाद मध्य अमेरिका में सभ्य राज्यों का एक शक्तिशाली संगठन था। लेकिन इसके सारे राज्यों पर और  खुद मयसभ्यता पर पुरोहित लोग सवार थे। ज्योतिष-विज्ञान का सबसे ज्यादा आदर होता था, और इस विज्ञान के जानकार होने की वजह से पुरोहित लोग जनता की अज्ञानता से फायदा उठाते थे। इसी तरह भावना में भी लाखों आदमी चन्द्रमा और सूर्य के ग्रहणों पर स्नान व उपवास करने के लिये फुसलाये गये।

  यह मयपान-संघ सौ वर्षों से अधिक बना रहा। जान पड़ता है कि इसके बाद एक समाजि क्रान्ति हुई और सरहद की एक बाहरी शक्ति ने दखल देना शुरु कर दिया। 1190 ईसवी के लगभग मयपान  नष्ट हो गया, लेकिन दूसरे शहर बने रहे। इसके बाद सौ वर्ष के अंदर एक दूसरी कौम आई। ये लोग मैक्सिको से आये थे और अजटेक कहलाते थे। इन लोगों ने चौदहवीं सदी के शुरु में मय देश को जीत लिया और 1325 ईसवी के लगभग टेनोकट्टीलन नामक शहर बसाया। जल्द ही यह सारे मैक्सिको की राजधानी और अजटेक साम्राज्य का केंद्र बन गया। इस शहर की आबादी बहुत बड़ी थी।

  अजटेक लोग एक फौजी राष्ट्र थे। इनके फौजी उपनिवेश थे; छावनियाँ थीं और फौजी सडकों का जाल था। यहां तक कहा जाता है कि वे इतने चालाक थे कि अपने मातहत राज्यों को आपस में लड़ाते रहते थे। उनकी आपसी फूट से उन पर शासन करना ज्यादा आसान था। सारे साम्राज्यों की यह बहुत पुरानी नीति रही है। रोमवाले इसे 'फूट डालो और शासन करो की नीति' कहते थे।

  दूसरी बातों में चतुर होते हुये भी अजटेक लोग मजहब के मामले में पुरोहितों के शिकंजे में थे, और इससे भी बुरी बात यह थी कि उनके मजहब में आदमियों की बलियां बहुत दीं जाती थीं। हर साल धर्म के नाम पर हजारों आदमी बड़े ही भयंकर तरीके से बलि चढ़ा दिये जाते थे।

 माया सभ्यताओं का पतन !

  लगभग दो सौ वर्षों तक अजटेकों ने अपने साम्राज्य पर डंडे के जोर से राज किया। साम्राज्य में जाहिरा सुरक्षा व शान्ति थी, लेकिन जनता बेरहमी से निचोडी और लूटी जाती थी। जो राज्य इस तरह बना हो और इस तरह चलाया जाय, वह बहुत दिनों तक कायम नहीं रह सकता। और यही हुआ भी। सोलहवीं सदी के शुरु में, यानी 1519 ईसवी में, जब अजटेक अपनी शक्ति की सबसे ऊंची चोटी पर दिखाई देते थे, उनका साम्राज्य मुट्ठी भर लुटेरों और हौंसलावर विदेशियों के हमले से भरभराकर गिर पड़ा! साम्राज्यों के पतन की यह एक बड़ी ही हैरत में डालने वाली मिसाल है। और यह सब एक स्पेनवासी हर्नन कोर्तीज और उसके साथ की सिपाहियों की एक टुकड़ी ने कर दिखाया। कोर्तीज एक बहादुर आदमी था और काफी जोखिम उठानेवाला था। उसके पास दो चीजें थीं, जिनसे उसे बड़ी मदद मिली - बंदूकें और घोड़े। मैक्सिको के साम्राज्य में घोड़े नहीं थे और बंदूकें तो थीं ही नहीं। लेकिन अगर अजटेक साम्राज्य की जडें खोखली न होतीं तो न तो कोर्तीज की हिम्मत और न उस्की बंदूकें और घोड़े ही किसी काम आते। इस साम्राज्य का ऊपरी रूप तो बना हुआ था, लेकिन अंदर से यह खोखला हो चुका था, इसलिये इसे गिराने को जरा-सी ठोकर ही काफी थी। यह साम्राज्य जनता के शोषण की नींव पर बना था; इसलिये लोग उससे बहुत नाराज थे। इसलिये जब उसपर हमला हुआ तो आम जनता ने साम्राज्यवादियों की इस हार का स्वागत किया। और, जैसा कि अकसर होता है इसके साथ ही एक समाजी क्रान्ति भी हुई।

 एक बार तो कोर्तीज खदेड़ दिया गया और मुश्किल से वह अपनी जान बचा सका। लेकिन वह फिर लौटा और वहाँ के कुछ निवासियों की मदद से उसने फतह पाई। इससे अजटेक शासन का तो अन्त हुआ ही, लेकिन मजेदार बात यह है कि साथ-ही-साथ मैक्सिको की सारी सभ्यता लड़खड़ाकर गिर पड़ी और थोड़ेही समय में उस शाही और विशाल राजधानी टनोक्त्तीलन का निशान तक बाकि नहीं रहा। उसकी एक ईंट भी आज नहीं बची है और उसकी जगह पर स्पेनवालों ने एक बड़ा गिरिजा बनाया। मय सभ्यता के दूसरे बड़े शहर भी नष्ट हो गये और यूकेतन के जंगलों ने उन्हें ढक लिया, यहांतक कि उनके नाम भी बाकि न रहे और उनमें से बहुतों की याद आजकल उनके पड़ौस के गांवों के नामों में बाकी रह गई है। उनका सार साहित्य भी नष्ट हो गया और सिर्फ तीन किताबें बच रही हैं, और उन्हें भी आज तक कोई पढ़ नहीं सका।

  मामूली तौर पर यह बताना मुश्किल है कि एक प्राचीन जाति और एक प्राचीन सभ्यता, जो करीब 1500 वर्षों तक कायम रही, यूरोप के नये लोगों के संपर्क में आते ही एकाएक कैसे खत्म हो गई। ऐसा मालूम होता है कि यह संपर्क एक बिमारी की तरह था, यानी एक नई महामारी थी, जिसने उनका सफाया कर दिया। हालाँकि कुछ बातों में इनकी सभ्यता बहुत ऊंची थी लेकिन कुछ दूसरी बातों में ये लोग बहुत पिछड़े हुये थे। इतिहास के जुदा-जुदा काल की ये लोग एक विचित्र खिचड़ी थे।

 पेरू सभ्यता भी धराशाई हो गया !

  दक्षिण अमेरिका के पेरू में सभ्यता का एक और केंद्र था और इस देश में 'इनका' का शासन था। यह एक तरह से दैवी राजा माना जाता था। यह अजीब बात है कि पेरू की इस सभ्यता का, कम-से-कम पिछ्ले दिनों में, मैक्सिको की सभ्यता से बिल्कुल भी संपर्क नहीं था। दोनों सभ्यताएं एक-दूसरे से बहुत दूर नहीं थीं, फिर भी वे एक-दूसरी के बारे में कुछ नहीं जानती थीं और सिर्फ इसी बात से यह साबित हो जाता है कि कुछ मामलों में वे कितनी ज्यादा पिछड़ी हुई थीं। मैक्सिको में कोर्तीज की सफलता के बाद ही, एक दूसरे स्पेन-वासी ने पेरू राज्य का भी अन्त कर दिया। इसका नाम पिजारो था। इसने 1530 ईसवी में आकर इनका को दगाबाजी से पकड़ लिया। 'दैवी' राजा के पकड़े जाने से ही लोग डर गये। पिजारो ने कुछ समय तक इनका के नाम पर राज करने की कोशिश की और लोगों को दबाकर बहुत दौलत ऐंठी। बाद में यह ढोंग खत्म कर दिया गया और स्पेनवासियों ने पेरू को अपने राज्य का एक हिस्सा बना लिया।

  कोर्तीज ने जब पहले-पहल टनोक्त्तीलन शहर देखा तो वह उसकी विशालता पर हक्का-बक्का रह गया। उसने यूरोप में इस किस्म का कोई शहर नहीं देखा था।

  मय और पेरू की कला की बहुत-सी निशानियां मिली हैं और वे अमेरिका के, और खासकर मैक्सिको के, अजायबघरों में देखी जा सकती हैं। इनमें कला की एक बढ़िया परंपरा दिखाई देती है। पेरू के सुनारों का काम बहुत ही ऊंचे दर्जे का बताया जाता है। पत्थर की मूर्तियों के भी कुछ नमूने मिले हैं, जिनमें पत्थर के कुछ सांप खासतौर पर बहुत ही सुन्दर हैं। दूसरी मूर्तें तो मानों दिल-दहलाने व नफरत पैदा करने के लिये बनाई गई हैं, और उन्हें देखकर सचमुच डर व नफरत पैदा होते हैं !

  अत: माया लोगों का अपना एक इतिहास था, अपनी एक उन्नत सभ्यता थी, जिसे यूरोप से आये स्पेनवासियों ने तहस-नहस कर दिया, और उसकी जगह पर अपनी यूरोपियन संस्कृति को स्थापित किया। 

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