*संकेत जो बताते हैं कि ईश्वर आपके साथ है ! Is God with me in hindi


संकेत जो बताते हैं कि ईश्वर आपके साथ है ! Is God with me in hindi

  ईश्वर का प्रेम कौन नहीं चाहता। लेकिन ईश्वर सभी को अपना प्रेम अलग-अलग रूपों में देते हैं। किसी को जीवन में अपार दुख मिलता है तो किसी का जीवन मिला-जुला रहता है। लेकिन एक आम मानव के साथ जब भी बुरा होता है तो वह एक बार अवश्य यह सोचता है कि पता नहीं ईश्वर उससे प्रेम करते हैं की नहीं।

  लेकिन ऐसे आठ संकेत हैं जिससे आपको पता चलेगा कि आप ईश्वर के कितने निकट हैं और ईश्वर आपसे कितना प्रेम करते हैं:-

  *पहला संकेत

  ईश्वर अगर आपसे प्रेम करते हैं तो उनका सबसे पहला संकेत यह है कि आप जो भी करोगे उसमें आपको विफलता मिलेगी। जी हां, यह पढ़ कर आपको बेशक अजीब और बुरा लग रहा होगा मगर यही सच्चाई है कि आप हर चीज में अपना 100% दोगे, मेहनत करोगे लेकिन आपको सफलता नहीं मिलेगी और यह बार-बार होगा जब तक की आपकी आंखें खुल नहीं जातीं।

  *दूसरा संकेत

  दूसरा संकेत यह है कि आपका अपने ऊपर जो विश्वास है वह खत्म हो जायेगा। जब ईश्वर आपके साथ होते हैं तो आपको बिल्कुल अकेला फील होगा। आप नहीं समझ पाओगे की आपको आगे क्या करना चाहिये। आप खुद को ऐसी स्थिति में महसूस करोगे जहां कोई आपकी मदद नहीं करेगा। आप किसी को अपनी परेशानी शेयर नहीं कर सकते और अगर बता भी दोगे किसी को तो उनके लिये यह बहुत छोटी बात होगी या वे इस पर ध्यान ही नहीं देंगे।



  *तीसरा संकेत

  इस अवस्था में दुख आपमें चरमसीमा पर होगा। आपको लगेगा मानो कि इससे ज्यादा और क्या बुरा हो सकता है। आप दुख की चरमसीमा को महसूस कर लेंगे। आपने महान संतों के जीवनों को देखा होगा। उनके जीवन में बड़े से बड़ा दुख का पल आया और फिर उनके अंदर वैराग्य आया तब इस जीवन और भौतिक सुखों से आगे ईश्वर को जानने की उनके अंदर प्यास जगी। इस प्रकार अन्त में उन्होने ईश्वर का साक्षात्कार भी प्राप्त कर लिया। इन दुखों से इन्सान टूट तो जाता है लेकिन इन्हीं दुखों से उसमें ईश्वर के प्रति प्रेम भी विकसित होता है। वह यह समझ जाता है सँसार में सारे सुख नहीं है, कुछ ऐसा है जो इस सँसार से परे है जो ईश्वर ही है। 

 ईश्वर सबसे पहले हमें हारना ही सीखातें हैं, क्योंकि जब तक आप हार को नहीं समझते है तब तक आप जीत को भी नहीं समझ सकते हो।   

  *चौथा संकेत

  जब आपकी सारी उम्मीदें टूट जायेंगी तब आपके अंदर एक इनर सर्च शुरू होगी। इससे आप खुद को ही परखोगे। आप अपने अंदर की खामियों को जड़ से समझने का प्रयास करोगे। जो कुछ भी खो दिया है या जिसमें भी विफल हुये हो आप उसका कारण ढूँढोगे। आप खुद से सवाल करोगे। यही वह वक्त होता है जब आप अपनी अंतरात्मा से जुड़ने लग जाते हो और आपके जीवन में एक नया बदलाव आता है।

  *पांचवां संकेत

  इस अवस्था में आपके चरित्र में बदलाव होगा।  जब आप खुद से लड़ने लगते हो तब आप अपनी खामियों को समझने भी लगते हो, इससे आप खुद को बदलना और तराशना भी शुरु करने लगते हो। इससे आप पहले से अधिक शान्त, स्थिर, चीजों को गहराई से देखने वाला बनने लगते हो।  जब भी हम ईश्वर की राह में जाने लगते हैं तो वह सब से पहले हमारे अंदर परिवर्तन लेकर आता है ताकि हम उसकी भाषा को समझ सकें। 

 जब तक हम ईश्वर के गुणों को नहीं समझेंगें तब तक हम ईश्वर और उसके प्रेम को भी नहीं समझ सकेंगे। इसीलिये ईश्वर हमारे अंदर बदलाव लाते हैं, हमें उनकी भाषा को समझना सीखाते हैं, चाहे वो दुख हो या किसी भी जरिये से।

  *छठा संकेत

  इस अवस्था में आप किसी भी चीज में हार-जीत का अनुभव नहीं करेंगे। यह वह वक्त होगा जब आप बदल चुके हैं। आपके अंदर बदलाव आ रहा है। आपका नजरिया जीवन के प्रति बदलता जायेगा, जिससे बाहर घट रही घटनाओं का असर भी आपके अंदर बहुत कं होगा। बाहर सँसार में होने वाली हर घटना को आप एक नाटक की तरह देखने लगोगे न की एक वास्तविकता के रूप में। आपके अंदर साक्षीभाव आ जायेगा। आपके लिये सब कुछ सँसार एक नाटक होगा, इससे ज्यादा कुछ भी नहीं।

  *सांतवा संकेत

 जब आपको यह महसूस होने लगेगा कि आप ईश्वर के बहुत निकट हो तभी आपको सबसे बड़ा झटका लगेगा। यह ईश्वर की सबसे बड़ी कड़ी परीक्षा होती है। यहीं आपके विश्वास, आपकी बुद्धि, हर चीज तोली जायेगी जो कुछ भी आपने अभी तक अपनी यात्रा और साधना से सीखा है। इस वक्त आपके जीवन में ऐसी-ऐसी परेशानियां, दुख आदि या इतना सुख ऐशो-आराम आ जायेगा कि आपको वाकई में लगेगा की ईश्वर तो कुछ भी नहीं है, वो केवल एक झूठ है, एक छलावा है।

 यह समय सबसे अधिक धैर्य का होता है। अगर आप इस समय अप्ने पद से विचलित नहीं हुये तो आठवें संकेत के रूप में ईश्वर या तो खुद आपके समक्ष प्रस्तुत हो जाते हैं, फिर चाहे वे किसी भी रूप में हो।

  *आठवां संकेत

  आठवां संकेत ऐसा होता है जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।  इस स्थिति पर पहुंचने पर आपके मन में लेशमात्र भी संशय नहीं रह जायेगा कि ईश्वर आपके साथ नहीं है। आपको हर पल ईश्वर का आपके साथ होने का अहसास होगा। आप इस अनुभूति को पा कर मदमस्त रहेंगे और आपको ऐसी शान्ति और आनन्द की अनुभूति होगी जिसे बातों के द्वारा नहीं कहा जा सकता है !!!

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