*ईश्वर एक शक्ति है या व्यक्ति ? Ishwar in hindi*

 

Ishwar kya hai ?

ईश्वर एक शक्ति है या व्यक्ति? Ishwar in hindi

  Ishwar kya hai ?, यह एक बुनियादी प्रश्न है ! यह सारी मानवता उस ईश्वर को किसी न किसी इंसानी रूप में मानती है अथवा किसी न किसी व्यक्ति के रूप में।  वे चाहे ऊपर आकाश के हों या धरती के या फिर धरती के नीचे के, परन्तु फिर भी बहुत से लोग उस ईश्वर को 'व्यक्ति' से अधिक एक 'शक्ति' कहते हैं। 

 तो क्या यह सत्य है कि ईश्वर एक शक्ति है?

आइये जरा इस विषय पर विश्लेषण करते हैं :-

 ईश्वर एक शक्ति नहीं है !

   यदि हम यह मान कर चलें कि ईश्वर एक शक्ति है तो हमें यह भी अवश्य मानना ही पड़ेगा कि किसी भी शक्ति  की अपनी स्वयं की स्वचालित अभिव्यक्ति नहीं होती। अपनी स्वयं की स्वचालित अभिव्यक्ति तो केवल किसी व्यक्ति (जीव) की ही हो सकती है, शक्ति की नहीं। क्योंकि यह तथ्य पूर्णतः विज्ञान सम्मत है कि शक्ति की अपनी स्वयं की स्वचालित अभिव्यक्ति नहीं होती, ऐसा तो केवल और केवल व्यक्ति (जीव) में ही संभव है। 

Ishwar kya hai ?

   ईश्वर एक व्यक्ति है !

  चूंकि ईश्वर एक सत्ता है (व्यक्ति अथवा जीव), इसलिये उसमें कामनायें, भावनायें और कल्पनाएं निहित होती हैं। परन्तु किसी शक्ति में न तो कामनायें, भावनायें और कल्पनाएं हीं होती हैं। किसी शक्ति की अपनी ही सक्रियता और निष्क्रियता होती है, परन्तु उसमें संवेद्नायें नहीं होती। शक्ति की अपनी कोई भाषा या वाणी नहीं होती, परन्तु उसकी अपनी ही एक ध्वनि होती है।  कोई भी शक्ति किसी कार्य की पूर्णतः या संपादन के लिये ही होती है। कोई भी शक्ति इस चराचर संपूर्ण विश्व में एक साधन-मात्र है एश्वर्य के लिये या विनाश के लिये। परन्तु जहाँ तक हम जानते हैं कि संपूर्ण मानवता के विभिन्न धर्मों में उस ईश्वर को एक व्यक्ति (जीव अथवा शिव) के रूप में दर्शाया गया है, न कि एक शक्ति के रूप में। शक्ति को तो उस ईश्वर के हाथों का साधन माना गया है विकास, उन्नति, ऐश्वर्य या फिर विनाश के लिये। परन्तु ये सब जानते हुये भी बहुत से लोग उस ईश्वर को फिर भी शक्ति ही कहते हैं !

   ईश्वर मात्र चेतन ऊर्जा नहीं!

  हमारे भारत में प्राचीनकाल से लेकर अब तक ऐसे बहुत से आश्रम हुये हैं जहाँ के प्रतिउत्तर दार्शन के अनुसार, उस ईश्वर को मात्र शक्ति ही माना जाता है। वे उसे इस संपूर्ण ब्रह्माण्ड की चेतनशक्ति मानते हैं और कुछ नहीं। उनका कहना है कि भगवान, ईश्वर या फिर परमेश्वर जैसा कुछ नहीं होता, जो कुछ होता है वह केवल ब्रह्मांडीय-चेतन उर्जा ही है। उनका कहना की यही ब्रह्मांडीय-चेतन ऊर्जा हम मनुष्यों के भीतर भी है। इसलिये मनुष्य योग-साधना से उस ब्रह्मांडीय-चेतन ऊर्जा के स्पंदन को महसूस कर सकता है, उससे जुड़ सकता है।

  अत: उनके लिये ईश्वर विज्ञान के किसी खोज की तरह है।  जैसे कोई एटम, परमाणु या फिर उससे भी सूक्ष्म कोई और शक्ति । परन्तु वे नहीं जानते की ईश्वर मात्र कोई चेतन ऊर्जा नहीं है। ईश्वर तो चेतनाओं का स्त्रोत है। ईश्वर तो स्वयं एक चेतन+व्यक्ति है, जिसमें से चेतन उर्जायें (शक्तियां) इस सारे दृश्य-अदृश्य जगत में फैलती हैं।

  अगर इश्वेर मात्र एक चेतन ऊर्जा या ब्रह्मांडीय-शक्ति ही होती तो वह क्यों कर एक व्यक्ति (मनुष्य के) के रूप में प्रकट होता है ? वह क्यों कर अपनी भावनायें, कामनाएं और कल्पनाएं अभिव्यक्त करता है?

  तो क्या कोई प्राकृतिक ऊर्जा कभी ऐसा कर सकती है?

  क्या हमने कभी यह देखा है कि कोई ऊर्जा या शक्ति स्वयं स्वचालित होकर किसी मनुष्य को संचालित करे ?

  नहीं न ? क्योंकि ऊर्जा या शक्तियां स्वयं स्वचालित होकर अपनी भावनाएं प्रकट नहीं करतीं। जब तक की उन्हें कोई न कोई व्यक्ति (जीव) ऐसा करने के लिये सक्रिय नहीं करता।

  उर्जायें या शक्तियां केवल और केवल व्यक्ति के हाथों के द्वारा एक क्रमबद्ध या नियमबद्ध तरीके से इस ब्रह्मांड में अभिव्यक्त होती हैं। क्योंकि उनमें कोई भावनायें, कामनायें या कल्पनाएं नहीं होतीं।

    सारांश 

  अत: Ishwar kya hai इस बुनियादी प्रश्न के उत्तर में इस संपूर्ण ब्रह्माण्ड की व्यवस्था को देख कर तो हम यही कह सकते हैं कि इसे बनाया गया है एक व्यवस्थित ढ़ंग से किसी खास मकसद के लिये, और ऐसा तो कोई व्यक्ति ही कर सकता है, शक्ति नहीं। इसीलिए ईश्वर एक शक्ति नहीं, वरन व्यक्ति है; और इस व्यक्ति को हम अपने अंतर्ज्ञान से ही देख सकते हैं, चाहे वह अदृश्य अवस्था में हो या फिर आये वह धरा पर मानव रूप में!

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