दोस्त भी नहीं रहेंगे अपने ! |
भावनात्मक और व्यंगात्मक कवितायें
*दोस्त भी नहीं रहेंगे अपने!*
जीवन जीना है या दुख के गम पीना है,
जीना एक कला है तो दुख एक बला है,
ये बला पैदा होती है कैसे ?
कला तो बला से दूर रहती है !
हाय ! ये बला कभी रोग, कभी शोक, दुविधा बन कर आती है,
और खुशियों को छनकर ले जाती है;
दुविधा में पड़ें तो सुविधा छिन जाती है,
शोक में पड़ें तो कला छिन जाती है,
दुविधा में रहें तब भी साथ रहेंगे कुछ अपने
पर रोग में रहें तो साथ रहना तो दूर दोस्त भी नहीं रहेंगे अपने.......!!!!
> {यह मात्र व्यंग्यात्मक कल्पना है}
*क्या कहुँ तुमसे कि ईसा ने क्या कहा!*
मूसा का पश्चाताप ! |
क्या कहुँ तुमसे कि ईसा ने क्या कहा
ईसा ने वो कहा जो मूसा ने नहीं कहा,
मूसा ने कहा तुमसे कि इसे मान लो
पर ईसा ने कहा तुमसे कि इसे जान लो,
मान कर चले हम, तो झगड़ा हो गया,
जानकर चले तो हम झगड़ा कहाँ गया?,
मान कर चले थे हम झगड़ों अतीत
जान कर रहेंगे हम वर्षों व्यतीत,
सच कहता हूँ तुमसे, मैं हूँ मूसा
ईरादों में न था मेरा कोई भूसा,
समय था ऐसा की वैसा मनवाना था
जो मिला उसे गंवाना न था,
मूसा ने कहा तुमसे कि इसे मान लो
पर ईसा ने कहा तुमसे कि इसे जान लो,
मान कर चले हम, तो झगड़ा हो गया,
जानकर चले तो हम झगड़ा कहाँ गया?,
मान कर चले थे हम झगड़ों अतीत
जान कर रहेंगे हम वर्षों व्यतीत,
सच कहता हूँ तुमसे, मैं हूँ मूसा
ईरादों में न था मेरा कोई भूसा,
समय था ऐसा की वैसा मनवाना था
जो मिला उसे गंवाना न था,
जो लिखा मैंने याहवेह (God) की नजदीकी से था
जो रही कमी वो इंसाँ होने के कारण था;
पर अब आया हूँ मैं रही सही कसर दूर करने
याहवेह की इच्छा पूरी हो ऐसा लेख लिखने............!!!
जो रही कमी वो इंसाँ होने के कारण था;
पर अब आया हूँ मैं रही सही कसर दूर करने
याहवेह की इच्छा पूरी हो ऐसा लेख लिखने............!!!
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*कवितायें*
Beautiful poems !
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