क्या यह दुनिया सच में शैतान ने बनाई है? एक अनोखा चिंतन

 

Who is the God of Universe in hindi


😈 क्या यह दुनिया सच में शैतान ने बनाई है? एक अनोखा चिंतन

यह सवाल सदियों से इंसान के मन में कौंधता रहा है। जब हम दुनिया में इतनी बुराई, दुख, और अन्याय देखते हैं, तो अनायास ही यह विचार आता है: अगर दुनिया को एक सर्वशक्तिमान, सर्व-प्रेमपूर्ण ईश्वर ने बनाया है, तो यह इतनी दोषपूर्ण क्यों है? क्या इस सृष्टि के पीछे कहीं कोई 'शैतानी' ताकत तो नहीं?

आइए, इस गहन विषय पर विभिन्न दृष्टिकोणों से एक अनोखी और संतुलित चर्चा करें।


1. धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण

दुनिया के अधिकांश धर्म इस बात पर सहमत हैं कि ब्रह्मांड की रचना किसी सर्वोच्च शक्ति (ईश्वर) ने की है। हालांकि, 'शैतान' या 'इब्लीस' का पात्र बुराई के स्रोत के रूप में लगभग हर बड़े धर्म में मौजूद है।

  • सृष्टि बनाम नियंत्रण: बाइबिल और कुरान जैसे धर्मग्रंथों में स्पष्ट है कि रचना (Creation) ईश्वर की है। लेकिन, ये ग्रंथ यह भी बताते हैं कि शैतान (Satan/Iblis) को शुरुआत में एक फरिश्ता या आत्मा के रूप में बनाया गया था, जिसने बाद में अहंकार और विद्रोह के कारण बुराई का मार्ग चुना।

  • शैतान का 'अधिकार क्षेत्र': कई धर्म मानते हैं कि शैतान ने दुनिया को बनाया नहीं, बल्कि उसने मानव जाति को बहकाकर इस संसार पर एक तरह का अस्थाई 'नियंत्रण' या 'अधिकार' स्थापित कर लिया है। वह इस दुनिया के 'ईश्वर' (God of this world) नहीं, बल्कि 'युग का ईश्वर' (God of this age) या प्रलोभक है, जो लोगों के विचारों, झूठी आशाओं और अनैतिकता को प्रभावित करता है।

  • बुराई का स्रोत: शैतान को पाप, मृत्यु और झूठ का जनक माना जाता है। यानी, दुनिया में जो बुराई है, वह मूल सृष्टि का हिस्सा नहीं, बल्कि उस विद्रोही प्राणी द्वारा लाए गए भ्रष्टाचार का परिणाम है।


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2. दार्शनिक और तार्किक चिंतन

यदि दुनिया इतनी दुखों से भरी है, तो यह 'शैतानी रचना' क्यों नहीं हो सकती?

  • द्वैतवाद (Dualism) का सिद्धांत: कुछ प्राचीन दर्शन (जैसे Gnosticism या Zoroastrianism के कुछ रूप) यह मानते थे कि दुनिया को दो समान शक्तियों ने बनाया है: अच्छाई का ईश्वर और बुराई का देवता (शैतान)। उनके अनुसार, यह दुनिया इन्हीं दोनों के बीच की निरंतर लड़ाई का मैदान है, इसलिए यह अच्छाई और बुराई का मिश्रण है।

  • स्वतंत्र इच्छा (Free Will) की कसौटी: अधिकांश धर्म और दर्शन इस विचार को नकारते हैं। वे तर्क देते हैं कि ईश्वर ने मनुष्य को सोचने और चुनने की स्वतंत्रता दी। शैतान ने दुनिया नहीं बनाई, बल्कि उसने मानव की स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने के लिए उसे बहकाया। दुनिया में जो दुख है, वह शैतान की रचना नहीं, बल्कि मानव द्वारा अपनी स्वतंत्र इच्छा से गलत चुनाव करने का दर्दनाक परिणाम है। इस विचार में, ईश्वर ने दुनिया को पूर्ण बनाया, लेकिन शैतान और मानव ने मिलकर उसे भ्रष्ट कर दिया।


3. आधुनिक मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य

आज के समय में, कई लोग शैतान को एक बाहरी प्राणी मानने के बजाय मानव मन की अंधेरी शक्ति के रूप में देखते हैं।

  • मनुष्य के भीतर का शैतान: इस विचार के अनुसार, 'शैतान' बाहर नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के भीतर मौजूद स्वार्थ, लालच, घृणा और अहंकार की वह प्रवृत्ति है जो उसे दूसरों को नुकसान पहुँचाने के लिए प्रेरित करती है। जब हम कहते हैं कि "दुनिया शैतान ने बनाई है," तो असल में हम यह कह रहे होते हैं कि "यह दुनिया मनुष्यों के भीतर की सबसे बुरी प्रवृत्तियों द्वारा संचालित हो रही है।"

  • जिम्मेदारी का हस्तांतरण: शैतान पर दोष डालना एक तरह से अपनी जिम्मेदारी से भागना हो सकता है। यह सोचना आसान है कि "किसी बाहरी दुष्ट शक्ति" ने सब बिगाड़ दिया, बजाय इसके कि हम यह स्वीकार करें कि मनुष्य ही युद्ध, प्रदूषण, और अन्याय का मुख्य कारण है।


निष्कर्ष: रचना बनाम शासन

अंततः, यह प्रश्न कि "क्या यह दुनिया शैतान ने बनाई है?" का उत्तर, अधिकांश मान्यताओं के अनुसार, 'नहीं' है।

सृष्टि की सुंदरता और अद्भुत व्यवस्था किसी सर्वोच्च, रचनात्मक शक्ति (ईश्वर) की ओर इशारा करती है। लेकिन, दुनिया में मौजूद बुराई, अराजकता और कष्ट यह बताते हैं कि इस सृष्टि पर फिलहाल किसी और शक्ति का प्रभुत्व है।

इसलिए, यह कहना अधिक सटीक होगा कि:

दुनिया को ईश्वर ने रचा है, लेकिन इस युग पर शैतान का प्रभाव और शासन है, जिसे उसने मानव की स्वतंत्र इच्छा का दुरुपयोग करके स्थापित किया है।

यह दुनिया अच्छाई (ईश्वर की रचना) और बुराई (शैतानी प्रभाव) दोनों का संगम है। हमारी असली लड़ाई यह तय करने में है कि हम अपने जीवन और इस संसार को किसकी ओर मोड़ना चाहते हैं—रचनाकार की अच्छाई की ओर, या प्रलोभक की बुराई की ओर।

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