Why Space is dark in hindi |
अंतरिक्ष काला क्यों है?: Modern Science Vs Vedic Science
Why Space is dark: हम सभी ने अंतरिक्ष की तस्वीरें देखी हैं। वे अक्सर अंधेरे, काले पृष्ठभूमि पर चमकते हुए सितारों और ग्रहों को दिखाती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अंतरिक्ष इतना काला क्यों है? आखिरकार, यह सितारों और ग्रहों से भरा है, जो निरंतर प्रकाश उत्सर्जित करते रहते हैं, तो फिर भी यह अंतरिक्ष काला और अँधेरा क्यों दिखता है?
इस लेख में हम इस रहस्य को आधुनिक विज्ञान और वैदिक विज्ञान के जरिये उजागर करने की कोशिश करेंगे। तो कृपया इस लेख में बने रहिये, ताकि आपको सही और स्पष्ट जानकारी मिल सके.
तो इस प्रश्न का उत्तर समझने के लिए, पहले हम आधुनिक विज्ञान के अनुसार जानेंगे कि आकाश या अंतरिक्ष का रंग काला क्यों है?:-
विज्ञान के अनुसार अंतरिक्ष काला क्यों है ? (Why Space is dark in hindi)
प्रकाश क्या है?
प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है जो हमें वस्तुओं को देखने में मदद करती है। यह विद्युत चुम्बकीय तरंगों के रूप में यात्रा करता है। जब प्रकाश किसी वस्तु से टकराता है, तो वह वस्तु से परावर्तित हो जाता है। हमारी आंखें इस परावर्तित प्रकाश को पकड़ती हैं, जिससे हमें वस्तु दिखाई देती है।
अंतरिक्ष में प्रकाश का क्या होता है?
अंतरिक्ष में, प्रकाश को कोई भी वस्तु नहीं रोकती है। यह बिना किसी बाधा के सीधे यात्रा करता है। जब कोई सितारा प्रकाश उत्सर्जित करता है, तो यह प्रकाश सभी दिशाओं में फैल जाता है। इस प्रकाश में से कुछ पृथ्वी तक पहुंचता है, और हम इसे देखते हैं। लेकिन अधिकांश प्रकाश अंतरिक्ष में ही फैलता रहता है।
अंतरिक्ष काला क्यों है?
अब, हम अंतरिक्ष के काले होने का कारण समझ सकते हैं। अंतरिक्ष में बहुत कम पदार्थ है, जिसका अर्थ है कि प्रकाश को रोकने या परावर्तित करने के लिए बहुत कम वस्तुएं हैं। नतीजतन, अधिकांश प्रकाश अंतरिक्ष में ही फैलता रहता है, और हमारी आंखों तक नहीं पहुंचता। इसीलिए अंतरिक्ष हमें काला दिखाई देता है।
Why Space is dark in hindi |
अंतरिक्ष में कुछ प्रकाश क्यों दिखाई देता है?
हालांकि अंतरिक्ष ज्यादातर काला है, फिर भी हम कुछ प्रकाश देख सकते हैं। यह प्रकाश उन सितारों और ग्रहों से आता है जो हमारे पास पर्याप्त करीब हैं। इन वस्तुओं से आने वाला प्रकाश इतना तीव्र होता है कि हमारी आंखें इसे पकड़ सकती हैं।
अंतरिक्ष में प्रकाश की यात्रा कितनी दूर तक होती है?
प्रकाश की गति बहुत तेज है। यह एक सेकंड में लगभग 3 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। इसका मतलब है कि प्रकाश को सूर्य से पृथ्वी तक पहुंचने में केवल लगभग 8 मिनट का समय लगता है। लेकिन अंतरिक्ष बहुत बड़ा है, और कुछ सितारे इतने दूर हैं कि उनका प्रकाश पृथ्वी तक पहुंचने में लाखों या अरबों साल लगते हैं।
अंतरिक्ष में प्रकाश की सीमा क्या है?
वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रकाश की गति ब्रह्मांड में सबसे तेज गति है। इसका मतलब है कि कोई भी वस्तु प्रकाश की गति से तेज यात्रा नहीं कर सकती। यह प्रकाश की सीमा के रूप में जाना जाता है।
तो अब जानते हैं वैदिक विज्ञान के नजरिये से आकाश या अंतरिक्ष का कालेपन के बारे में:-
Why Space is dark in hindi |
अंतरिक्ष का कालापन: वैदिक विज्ञान का दृष्टिकोण
Why space is black in hindi: अंतरिक्ष का कालापन मानवता के लिए सदियों से रहस्य बना हुआ है। आधुनिक विज्ञान इस विषय पर अपनी व्याख्या प्रस्तुत करता है, लेकिन वैदिक विज्ञान ने भी इस प्रश्न का उत्तर खोजने का प्रयास किया है। इस लेख में हम वैदिक विज्ञान के अनुसार भी अंतरिक्ष के कालेपन के कारणों और उसकी व्याख्या को समझने का प्रयास करेंगे।
वैदिक विज्ञान में अंतरिक्ष का वर्णन
वैदिक विज्ञान में अंतरिक्ष को 'आकाश' कहा जाता है। यह पंचतत्वों में से एक माना जाता है। आकाश का गुण 'आकाशत्व' होता है, जो अनंत, निर्विकार और सर्वव्यापी है। वैदिक विज्ञान में आकाश को एक विशाल, निर्मल और असीम स्थान के रूप में वर्णित किया गया है.
वैदिक विज्ञान के अनुसार, अंतरिक्ष का कालापन कई कारणों से होता है. जैसे -
प्रकाश का अभाव
वैदिक विज्ञान में कहा गया है कि प्रकाश का अभाव ही अंतरिक्ष को काला बनाता है। जब कोई प्रकाश स्रोत नहीं होता, तो वहां अंधकार ही होता है। अंतरिक्ष में कोई भी स्थिर प्रकाश स्रोत नहीं है, इसलिए वह काला दिखाई देता है।
अनंतता का प्रभाव
वैदिक विज्ञान में अंतरिक्ष को अनंत माना गया है। अनंत का अर्थ है कि उसका कोई अंत नहीं है। जब हम अनंत की कल्पना करते हैं, तो हमारे मन में एक असीम, निर्जन स्थान का विचार आता है। यह असीमता ही अंतरिक्ष के कालेपन का कारण बनती है।
ज्ञान का अभाव
वैदिक विज्ञान में कहा गया है कि ज्ञान ही प्रकाश का रूप है। जब कोई ज्ञान नहीं होता, तो वहां अंधकार ही होता है। अंतरिक्ष में कोई भी स्थिर ज्ञान नहीं है, इसलिए वह काला दिखाई देता है।
माया का प्रभाव
वैदिक विज्ञान में माया को एक भ्रम या सपने की तरह बताया गया है। माया के कारण ही हम संसार को रंगीन और रूपवान देखते हैं। जब माया का प्रभाव समाप्त होता है, तो वहां अंधकार ही होता है। अंतरिक्ष में माया का प्रभाव बहुत कम होता है, इसलिए वह काला दिखाई देता है।
शून्य का प्रभाव
वैदिक विज्ञान में शून्य को एक निराकार, निर्विकार और सर्वव्यापी अवस्था माना गया है। शून्य का प्रभाव भी अंतरिक्ष के कालेपन का कारण बनता है। जब कोई पदार्थ या ऊर्जा नहीं होती, तो वहां शून्य ही होता है, जो काला दिखाई देता है।
अंतरिक्ष का कालापन और ब्रह्मांड की उत्पत्ति
वैदिक विज्ञान में अंतरिक्ष को ब्रह्मांड की उत्पत्ति का कारण माना गया है। जब शून्य से प्रकाश उत्पन्न होता है, तो ब्रह्मांड की उत्पत्ति होती है। इस प्रकार, अंतरिक्ष का कालापन ब्रह्मांड की उत्पत्ति का आधार है।
अंतरिक्ष का कालापन और मानव जीवन
वैदिक विज्ञान में अंतरिक्ष का कालापन मानव जीवन से भी जुड़ा हुआ है। जब हम अज्ञानता में डूबे रहते हैं, तो हमारे जीवन में अंधकार ही होता है। जब हम ज्ञान प्राप्त करते हैं, तो हमारे जीवन में प्रकाश आता है। इस प्रकार, अंतरिक्ष का कालापन हमारे आंतरिक जीवन का भी प्रतीक है।
साराँश
तो Why space is dark in hindi में हमने जाना कि आधुनिक विज्ञान और वैदिक विज्ञान के अनुसार, अंतरिक्ष का कालापन कई कारणों से होता है। यह प्रकाश का अभाव, अनंतता का प्रभाव, ज्ञान का अभाव, माया का प्रभाव और शून्य का प्रभाव के कारण होता है। अंतरिक्ष का कालापन ब्रह्मांड की उत्पत्ति का आधार भी है और मानव जीवन से भी जुड़ा हुआ है। वैदिक विज्ञान की दृष्टि से अंतरिक्ष का कालापन केवल एक भौतिक घटना नहीं है, बल्कि एक गहन आध्यात्मिक अर्थ भी रखता है।