*मणिपुर हिंसा: जानिये मणिपुर हिंसा की पूरी सच्चाई!*

 

Manipur voilence in hindi?

मणिपुर हिंसा: जानिये मणिपुर हिंसा की पूरी सच्चाई!


Manipur voilence in hindi: मणिपुर हिंसा को लेकर महिलाओं की नग्नता का जो वीडियो वायरल हुआ है वह पूरे भारतवर्ष में एक चर्चा का विषय बना हुआ है। इस हिंसा में दो समुदायों की लड़ाई में पूरे मणिपुर को जला दिया है। आज के अपने इस आर्टिकल में हम मणिपुर हिंसा का कारण क्या है?, मणिपुर राज्य में हिंसा क्यों भड़की हुई है?, हिंसा की शुरुआत कब हुई? इन सब तमाम सवालों का जवाब अपने इस आर्टिकल में हम आपको संक्षिप्त रूप से देंगे। इसके साथ ही मणिपुर राज्य के इतिहास के बारे में भी बताएंगे। आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें और अंत में जाने की मणिपुर हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, गृह मंत्री अमित शाह और तमाम राजनीतिक दलों की क्या प्रतिक्रिया हैं? :-


पूर्वोत्तर में स्थित मणिपुर राज्य भारत का एक अटूट अंग है। जिसमें पिछले कुछ महीनों से हिंसा का रूप ले लिया है। यहां पर हिंसा इस कदर से बड़ी हुई है कि लोग एक दूसरे के जान के दुश्मन बने हुए हैं। मणिपुर हिंसा का मुख्य कारण हाईकोर्ट का वह जजमेंट हैं, जिसमें मैती समुदाय के लोगों को ST यानी की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया है। इसके बाद ही मणिपुर में कुकी समुदाय और नागा समुदाय के लोगों ने विरोध जताया। जिसके बाद से मणिपुर राज्य में अशांति फैल गई और हिंसा का रूप ले लिया।

इसके अलावा अन्य दो और भी कारण है, जो मणिपुर में हिंसा के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं। पहला कारण जिनमें कुकी समुदाय के लोगों ने सरकार से हुए समझौते को तोड़ दिया, जबकि दूसरा कारण राज्य सरकार के द्वारा अतिक्रमण कब्जा के लिए कार्रवाई की गई। 



मणिपुर राज्य का इतिहास क्या है?


मणिपुर राज्य का इतिहास बहुत ही रोचक है, जहां पर अधिकतर पहाड़ी क्षेत्र हैं। यह राज्य म्यांमार देश के साथ सटा हुआ है। साल 1947 से पहले यहां पर महाराजाओं का शासन था। मणिपुर राज्य में हिंदू बहुसंख्यक के साथ 60 से अधिक जातियों के लोग रहते हैं, जिनमें कुकी और नागा समुदाय भी हैं जोकि ईसाई समुदाय के हैं, जिसके महाराजा बोधचंद्र थे। भारत देश आजाद होने के बाद 15 अगस्त 1949 में महाराजा बोधचंद्र जी ने मणिपुर का विलय भारत में करवा दिया। जिसके बाद मणिपुर राज्य भारत का एक अटूट अंग बन गया।

शुरुआती स्तर पर मणिपुर राज्य को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में रखा गया था। जो बाद में 21 जनवरी 1972 को मणिपुर राज्य को पूर्ण दर्जा दे दिया गया। जिसके बाद जहां पर मुख्यमंत्री और चुनी हुई सरकार का दायित्व बढ़ गया। इस राज्य में 60 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें 19 अनुसूचित जनजाति और 1 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गई। मणिपुर राज्य में 2 लोकसभा की सीटें हैं, जबकि एक राज्यसभा की सीट निर्धारित की है।

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मणिपुर हिंसा का कारण?


मणिपुर राज्य एक पहाड़ी क्षेत्र है, जिसमें समतल क्षेत्र बहुत ही कम हैं। इसी में मणिपुर राज्य की राजधानी इम्फाल हैं, जहां पर प्रदेश की कुल जनसंख्या के 57 प्रतिशत लोग रहते हैं। यह इम्फाल मणिपुर राज्य का पूरे क्षेत्र का 10% हिस्सा है। बाकी अधिकतर 90% हिस्से में जंगल, पहाड़ और घने पेड़-पौधों से संकृत इलाका हैं। जिसने प्रदेश की 43 फीसदी आबादी रहती है।

इस 43% आबादी में अधिकतर कुकी समुदाय और नागा समुदाय के लोग रहते हैं जो कि ईसाई धर्म से ताल्लुक रखते हैं, जिन्हें जनजाति का दर्जा प्राप्त हुआ हैं। इसके उपरांत मणिपुर राज्य में 8% मुस्लिम और सनमही समुदाय के लोग भी रहते हैं, अन्य छोटी जातियां भी मणिपुर राज्य में निवास करती हैं। इस तरह मणिपुर राज्य की कुल जनसंख्या में 53% मैती समुदाय के लोग रहते हैं, जो कि हिंदू धर्म से संबंध रखते हैं। 

संविधान के आर्टिकल 371"C" के तहत मणिपुर को एक विशेष कानूनी दर्जा प्राप्त है। जिसके अनुसार पहाड़ी क्षेत्र राज्य में जनजातीय के अलावा दूसरा कोई भी संपत्ति को खरीद नहीं सकता और ना ही वहां पर रह सकता हैं। जबकि पहाड़ी क्षेत्र में रह रहे जनजातीय लोग घाटी में आकर संपत्ति खरीदकर वहां पर बस सकते हैं।

इसी कानून के तहत मैती हिन्दू समुदाय के लोगों को किसी भी तरह का कोई भी सुविधा और लाभ नहीं मिल रहा था या कहें कि वह एक ही राज्य के होने के बावजूद भी कानून की वजह से अपने ही राज्य में दूसरे जिला में जाकर संपत्ति खरीदने के अधिकार से वंचित थे।

इसीलिए हाई कोर्ट ने मणिपुर सरकार से 19 अप्रैल 2023 को केंद्र के द्वारा 10 साल पुरानी प्रस्ताव को लागू करने के लिए कहा। जिसके बाद मैती समुदाय के लोगों को जनजातीय का दर्जा प्राप्त हो गया। अब वह भी घाटी के बाहर 90% जो की पहाड़ी इलाका हैं। वहां पर संपत्ति खरीदने के पात्र बन जाते हैं। इसी बात का विरोध कुकी समुदाय और नागा समुदाय के लोग कर रहे हैं, जो कि ईसाई धर्म से संबंध रखते हैं। इसी बात से मणिपुर में हिंसा भड़कनी शुरू हुई। 



मैती समुदाय कौन हैं?


मैती समुदाय के लोग हिंदू धर्म से संबंध रखते हैं। जिससे वह मणिपुर राज्य में एक बहुसंख्य जाति के रूप में माने जाते हैं। जिन पर मणिपुर राज्य का एक ऐसा कानून थोपा गया है कि वह घाटी को छोड़कर अन्य पहाड़ी क्षेत्र में संपत्ति नहीं खरीद सकते थे। इस पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। यह कानून कांग्रेस सरकार शासन के दौरान लाया गया था। अब मैतो समुदाय के लोग मजबूरीवश घाटी में ही रहने के लिए मजबूर हैं।

यह घाटी पूरे मणिपुर का सिर्फ 10% हिस्सा है। जबकि 90% हिस्सा में 43% जनजातीय आबादी रहती हैं। जिनमें कुकी और नागा समुदाय के लोग रहते हैं, जिन्होंने ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया है। इस तरह देखा जाए तो मणिपुर राज्य में हिंदुओं पर बहुत ही अत्याचार हो रहा है। वह अपने ही राज्य में कुछ प्रतिशत इलाके को छोड़कर दूसरे क्षेत्र में संपत्ति को खरीदने से वंचित हैं। उनका कहना है कि इससे उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। इसी को संज्ञान में लेते हुए हाईकोर्ट ने निर्णय दिया था, जिसका विरोध ईसाई बन चुके कुकी और नागा समुदाय के द्वारा किया जा रहा है।



कुकी समुदाय और नागा समुदाय कौन है?


मणिपुर राज्य में कुकी समुदाय और नागा समुदाय से संबंध रखने वाले लोगों ने ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया या कहे वह लोग ईसाई बन चुके हैं। जिन्हें अल्पसंख्यक होने का फायदा मिला हैं। वहां पर इन्हें जनजातियों और अल्पसंख्यक से संबंधित सभी सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं। जिसका यह भरपूर फायदा और गलत फायदा भी उठा रहे हैं। जिससे कई वर्षों से हिंदू समुदाय के लोगों के साथ अन्याय हो रहा था।

क्योंकि जब यह देश आजाद हुआ था, तब मणिपुर में एक हिंदू बहुल इलाका माना जाता था। म्यांमार के सटे होने होने के कारण वहां से मुस्लिम और ईसाई धर्म के लोग आए। जो मणिपुर में ही आकर रहने लगे। इस तरह मणिपुर में म्यांमार से आए लोगों ने जमीन को कब्जाना शुरू कर दिया और बाद में इनको वहीं पर स्थाई निवास बना दिया गया। 

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हिंसा की शुरुआत कब हुई?


हिंसा की शुरुआत मणिपुर राज्य के चुराचंदपुरा जिला से हुई, जोकि इम्फाल से 63 किलोमीटर दूर दक्षिण की ओर पड़ता है। इस क्षेत्र में सबसे अधिक आदिवासी लोग रहते हैं, जिनमें कुकी समुदाय के लोग अधिक है। कुकी और नागा समुदाय के लोगों ने 28 अप्रैल 2023 को सरकारी जमीन निरीक्षण का विरोध किया। जिसके चलते चुराचंदपुर को "द इंडिजेनस ट्राइबल लीडर्स फोरम" ने 8 से 10 घंटे तक पूरी तरह से बंद कर दिया।

जिसके कारण पूरी तरह से हिंसा का रूप ले लिया और तुइबोंग क्षेत्र में वन-विभाग के एक ऑफिसर को जिंदा जला दिया। जिसके बाद पुलिस और कुकी समुदाय के लोगों के बीच में हाथापाई हो गई। इस झड़प के बाद 3 मई 2023 को राजधानी इम्फाल में "ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर" के द्वारा आदिवासी एकता मार्च निकाला गया।

जिसका मुख्य उद्देश्य मैती समुदाय के लोगों को एसटी का दर्जा दिए जाने का विरोध करना था। जिसके बाद घाटी में हिंसक रूप धारण कर लिया और तीन समुदायों के बीच में हाथापाई हो गई। जिनमें मैती समुदाय, कुकी समुदाय और नागा समुदाय के लोग थे। इस हिंसक झड़प में बहुत से लोग घायल हुए और लगभग 160 के आसपास लोगों ने अपनी जाने गवाही। यहीं से हिंसक झड़प ने इतना रूद्र रूप धारण कर लिया कि पूरा मणिपुर इसकी चपेट में आ गया। जिसके बाद पिछले दो-तीन महीने से मणिपुर राज्य में इंटरनेट की सेवा पूरी तरह से बंद कर दी गई थी।
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महिलाओं को नग्नता का वीडियो हुआ वायरल


3 मई को कुकी समुदाय के लोगों की तरफ से आदिवासी एकता मार्च निकाला गया था। उस में हुई झड़प से बहुत से लोगों ने अपनी जान गंवाई और बहुत से लोग घायल हुए थे। जिसके 1 दिन बाद ही महिलाओं को नग्न करके घुमाया गया, जिन्हें कुकी समुदाय की माना जा रहा है और कुकी समुदाय की तरफ से यह आरोप लगाया जा रहा है कि इन महिलाओं को मैतेई समुदाय के लोगों ने नग्न करके सड़कों पर घुमाया और उनके साथ गलत व्यवहार करते हुए खेतों में ले जाकर गैंगरेप किया। जिसके बाद चारों तरफ हिंसा होने लगी।

फिर कुकी समुदाय के लोगों की तरफ से 18 मई 2023 को नजदीकी थाना क्षेत्र में शिकायत की। जिसके बाद पुलिस ने 21 जून 2023 की एफआईआर की। जिसमें यह लिखा गया कि अज्ञात लोगों ने गांव के ऊपर हमला किया। जिसमें गांव के घरों को जलाया गया और लोगों की मृत्यु हो गई। इसके बाद एक परिवार के 5 सदस्य इस आगवानी से बचने के लिए पहाड़ी क्षेत्र की ओर भागे। जहां पर पुलिस ने उन्हें अपने संरक्षण में ले लिया और पुलिस उन्हें थाना लेकर आई।

इससे पहले ही अज्ञात भीड़ ने उनसे उनको छीन लिया और पिता और पुत्र को मारने के बाद तीन औरतों को निर्वस्त्र करके घुमाया गया। बाद में उनके साथ गेंगरेप किया गया। यह सारी घटना कांगकोपी की बताई जा रही है। जब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। तो पूरे देश में हड़कंप मच गया और हर तरफ इस तरह के किए गए गलत काम की निंदा की जाने लगे।




मणिपुर राज्य हिंसा में पालिटिक्स एंट्री 


मणिपुर हिंसा में पॉलिटिकल की भी एंट्री हुई। जिसके खिलाफ प्रत्येक दल के नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी। जिसमें मल्लिकार्जुन ने कहा है कि मणिपुर में हो रही हिंसा राज्य सरकार और केंद्र सरकार की विफलता है। प्रत्येक राजनीतिक दल ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया करते हुए इस वायरल हुए वीडियो की भी घोर निंदा की है, और सभी आरोपियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने के लिए आग्रह किया है। 

भारत सरकार के गृह मंत्री अमित शाह ने इस मामले को लेकर पिछले कुछ समय से शांतिपूर्वक ढंग से समझौता करवाया था। लेकिन इस समझौते को कुकी समुदाय के लोगों की तरफ से तोड़ा गया, जिसके बाद हिंसा हुई। अमित शाह निरंतर इस हिंसा के ऊपर राज्य सरकार के सीएम से बात करते रहे हैं। लेकिन जब यह वीडियो वायरल हुआ, तब अमित शाह ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश राज्य सरकार के मुख्यमंत्री को दिए।



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर हिंसा पर कड़ी कार्रवाई करने के दिये निर्देश


पिछले 84 दिनों के संघर्ष के बीच में मणिपुर हिंसा में बहुत उतार-चढ़ाव आये हैं। हाल ही में एक वीडियो पूरे देश में तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें महिलाओं को नंगा करके सड़कों पर घुमाया जा रहा है। जब यह वीडियो समस्त लोगों से होते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचा, तब प्रधानमंत्री ने इस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इस तरह के गलत काम की घोर निंदा की है और राज्य सरकार को कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कड़ी कार्रवाई के भी निर्देश दिये हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा हैं कि इस घिनौनी घटना के बाद से पूरे देश की बेज्जती हो रही है। जिसमें 140 करोड़ लोगों को शर्मसार कर दिया। उनका सिर शर्म से झुका दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि बेटियों, महिलाओं और बहनों की रक्षा करना उनकी प्राथमिकता है। चाहे वह राजस्थान सरकार के अंदर हो रही महिलाओं पर अत्याचार हो या फिर छत्तीसगढ़ और मणिपुर में हो रही महिलाओं के ऊपर अत्याचार हो। इन सब पर कड़ी से कड़ी कानूनी धाराओं के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।


चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने क्या कहा?


सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जी ने वायरल हो रही वीडियो पर (Manipur voilence in hindi) कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि "राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस पर संज्ञान करें। हम उन्हें थोड़ा वक्त देते हैं अन्यथा हम खुद इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे, क्योंकि इस तरह का मामला संविधान के ढांचे के ऊपर कानून व्यवस्था के तहत प्रश्न चिन्ह लगा देता है। अपराधी किसी भी समुदाय से ताल्लुक रखता हो या इसकी कोई भी वजह हो, लेकिन महिलाओं को इसका शिकार बनाकर संविधान के तहत मानव अधिकारों का हनन होता है!"

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