*आखिर क्यों भानगढ़ का किला माना जाता है रहस्यमयी और आत्माओं का अड्डा ?*

आखिर क्यों भानगढ़ का किला माना जाता है रहस्यमयी और आत्माओं का अड्डा?

bhangarh ka kila राजस्थान राज्य के अलवर जिले में स्थित है। ये सरिस्का टाइगर रिजर्व से बिल्कुल निकट में ही है। भानगढ़ के किले को भूतों का अड्डा साबित करने के लिए काफी अधिक मात्रा में कहानियां मौजूद हैं। हालांकि विज्ञान इन कहानियों से सहमति नहीं रखता, लेकिन भानगढ़ किले के आस-पास रहने वाले लोग दावा करते है कि इस स्थान पर हमेशा अजीब घटनाएं घटती ही रहती है। अब इन दावों में कितनी सच्चाई है ये तो कोई भी नहीं बता सकता। जो पर्यटक भी वहाँ जाते हैं वे भी इसके विषय में कुछ खास नहीं जान पाते हैं। यदि आप इस लेख को पूरा पढ़ते है तो आप भी भानगढ़ किले से जुड़ी कहानियों के विषय में विस्तार से जान सकेंगे। इसके अलावा अगर आपको रहस्यमयी और रोमांचक जगहों पर यात्रा करने का शौक है तो bhangarh ka kila को आप बिल्कुल भी मिस नहीं कर सकते। इस लेख के अंत में हम आपको भानगढ़ का किला पहुँचने के रास्ते के विषय में भी जानकारी देंगे। 

भानगढ़ के किले का रहस्य !

इस किले को लेकर काफी अलग-अलग तरह के दावे किये जाते रहे है। यही कारण है कि इस किले को लेकर रहस्य और भी अधिक गहरा हो जाता है। पूरे देश में इस किले को लेकर चर्चे होते रहते है। दावा तो ये भी किया जाता रहा है की इसपर कई बुरी आत्माओं का साया है। लेकिन एक बात हम आपको बताना चाहेंगे कि अभी तक भानगढ़ के लोग अपने दावों को सही सिद्ध कर पाने में असमर्थ ही रहे हैं। जो पर्यटक भानगढ़ किले को देखने जाते हैं वे भी सही सलामत ही लौट आते हैं। हालांकि कई ऐसे भी पर्यटक है जिनको भानगढ़ के किले के पास काफी नकारात्मक ऊर्जा का आभास हुआ है। कुछ पर्यटकों ने दावा किया था कि वहाँ पहुँचकर उनकी तबीयत खराब होने लगी। ऐसे भी कुछ पर्यटक है जिनको किले में अजीब तरह की आवाज़ सुनाई पड़ी। लेकिन ऐसे विशेष अनुभव करने वाले पर्यटकों की संख्या मुट्ठी भर ही है। इसलिए बिना भान गढ़ के किले की यात्रा किये कुछ भी कहना उचित नहीं है। तो अब आइये हम आपको बताते हैं कि आखिर भानगढ़ के किले को लेकर किस तरह की कहानियाँ बनाई जाती हैं। 

भानगढ़ के किले को लेकर बनाई जाने वाली भूतों की कहानियाँ !

अधिकतर लोग आज भी मानते हैं कि भानगढ़ का प्रसिद्ध किला में भूतों का वास है और जिन लोगों का रूझान पैरानॉर्मल चीजों में होता हैं वे यहाँ की यात्रा अवश्य करते हैं। इसके अलावा जिन लोगों को भूतों की कहानियाँ रोचक लगती हैं वे भी यहाँ पर बड़ी संख्या में आते हैं। सूरज के ढलने के पश्चात इस किले में किसी को भी प्रवेश करने की अनुमति नहीं होती हैं। लेकिन आज भी कई लोग जोखिम लेकर शाम के बाद इस किले में दाखिल हुए हैं और सही सलामत बाहर भी वापस आए हैं। 

ये है पहली कहानी
पहली कहानी के मुताबिक माधो सिंह नाम के एक राजा ने वहां रहने वाले बाला नाथ नामक एक तपस्वी से उचित अनुमति प्राप्त करने के बाद भानगढ़ किले का निर्माण किया। तपस्वी ने एक शर्त रखी थी कि किले की छाया तपस्वी के घर पर कभी नहीं पड़नी चाहिए। लेकिन माधो सिंह के एक उत्तराधिकारी ने किलेबंदी को लंबवत रूप से जोड़ा, जिससे तपस्वी के घर पर इसकी अशुभ छाया छा गई। इसके कुछ ही दिन बाद किला नष्ट हो गया। तपस्वी की भविष्यवाणी सही हुई और भानगढ़ का किला प्रेतवाधित हो गया।

ये है दूसरी कहानी
भानगढ़ किले के पीछे एक दूसरी कहानी भी है। ये पहले कहानी की तुलना में अधिक लोकप्रिय है। इस कहानी के अनुसार भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती किले के सर्वनाश होने के लिए जिम्मेदार थी। एक स्थानीय तांत्रिक को राजकुमारी रत्नावती से प्यार हो गया। एक बार उस तांत्रिक ने राजकुमारी रत्नावती के कॉस्मेटिक पर जादू करने की कोशिश की। यदि राजकुमारी उस कॉस्मेटिक का इस्तेमाल कर लेती तो वो तांत्रिक से प्रेम करने लगती। लेकिन राजकुमारी को संदेह हुआ और उन्होंने तांत्रिक की पूरी साजिश को विफल कर दिया और एक बड़े पत्थर के बोल्डर पर जादूई कॉस्मेटिक उड़ेल दिया। इससे उस तांत्रिक की वही पर मौत हो गई। उस तांत्रिक ने अपनी आखिरी सांस लेने से पहले श्राप दिया कि कोई भी आत्मा कभी भी भानगढ़ के किले में शांति से नहीं रह सकेगी। तब से भानगढ़ किले के आसपास का पूरा वातावरण भुतहा हो गया है।

Bhangarh ka kila में होते हैं ऐसे अनुभव

विज्ञान भले ही भूत पिसाच में विश्वास नहीं करता हो लेकिन कई लोगों ने अपनी आपबीती सुनाई है। आज हम आपको उन कहानियों को बताते है। जो लोग वहीं पर रहते हैं उनका कहना है कि अक्सर एक महिला के चींखने की आवाज़ उनको सुनाई देती है। इसके अलावा चूड़ियों के टूटने की भी आवाज आती है। कुछ लोग ये भी दावा करते हैं कि किले में से गीत की ध्वनि भी सुनाई पड़ती है और किसी का साया भी नज़र आता है। कई लोगों ने बताया कि उन्हें ऐसा महसूस होता है जैसे कोई उनके पीछे चल रहा है और पीछे से ही उन्हें तमाचे जड़ रहा है। किले के पास से कुछ अलग प्रकार की खुशबू भी आती है। यही वजह है कि सूरज के ढलने के बाद किसी को भी किले के भीतर जाने की इजाज़त नहीं है। 

कैसे पहुँच सकते है भानगढ़ फोर्ट? 

रोड के माध्यम से: भानगढ़ का किले की दूरी भारत की राजधानी दिल्ली से करीब 300 किलोमीटर की हैं। इसलिए बेहतर होगा की आप प्रात: काल ही निकल पड़े और फोर्ट को अच्छे से घूम ले। क्योंकि शाम हो जाने पर आपको अंदर नहीं जाने दिया जाएगा। अगर आपके पास कार है तो काफी अच्छी बात है लेकिन अगर नहीं भी है तो आप रेंट पर ले सकते हैं। अगर आप इतनी दूर यात्रा करके पहुँच जाते हैं तो लगे हाथ जयपुर, नीमराना, अलवर भी घूम ही लीजिए। 

रेल से ऐसे पहुँचे : नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से आप शताब्दी एक्सप्रेस में बैठकर अलवर तक पहुँच जाएंगे। अलवर से आप कोई प्राइवेट गाड़ी भाड़े पर लेकर आसानी से भानगढ़ के किले तक पहुँच सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ) 
1.भानगढ़ के किले में कितने बजे से लेकर कितने बजे तक प्रवेश कर सकते है? 
सुबह के 6 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक भानगढ़ का किला (bhangarh ka kila) पर्यटकों के लिए खुला रहता है। 

2.भानगढ़ यात्रा करने के लिए सबसे उपयुक्त महीना कौन सा है? 
अक्टूबर के शुरुआत से लेकर फरवरी महीने तक bhangarh ka kila की यात्रा करना सबसे अच्छा रहेगा क्योंकि इन महीनों में मौसम अनुकूल रहेगा और आप गर्मी से नहीं जूझेंगे। 

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